मध्य प्रदेश में दो दिन जलेगी होली, आखिर होली के मुहूर्त को लेकर क्यों है भ्रम

मध्यप्रदेश में आज रात और कल 7 मार्च को यानी दो दिन होलिका दहन किया जाएगा। उज्जैन में आज भगवान महाकाल को 40 क्विंटल फूल अर्पित कर होली खेली गई। महाकालेश्वर मंदिर समेत प्रदेश के दूसरे बड़े मंदिरों में आज रात होलिका दहन किया जाएगा, जबकि मोहल्ले, कॉलोनी और दूसरे सार्वजनिक मंचों से होलिका दहन 7 मार्च की शाम होगा। दोनों स्थिति में रंग 8 मार्च को खेला जाएगा।
ऐसा इसलिए, क्योंकि पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका पूजन की मान्यता है। पूर्णिमा 6 और 7 मार्च दोनों दिन है। 28 साल पहले 26 मार्च 1994 को ऐसा ही हुआ था। तब भी पूर्णिमा तिथि दो दिन थी और सूर्यास्त के बाद शुरू होकर अगले दिन सूर्यास्त से पहले खत्म हो गई थी।
इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन में दोनों दिन होली जलेगी। जबकि, भोपाल और जबलपुर में 7 मार्च को होलिका दहन होगा। 8 मार्च को धुलेंडी (रंग खेलना ) मनाई जाएगी। इसी दिन सरकारी छुट्टी भी घोषित है। हालांकि, ज्यादातर पंडित और ज्योतिषाचार्य 6 मार्च को ही होलिका दहन और 7 मार्च को धुलेंडी मनाने के लिए एकमत हैं।
होलिका दहन की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन क्यों?
हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर होली जलती है। इसके अगले दिन धुलेंडी मनाई जाती है। यानी रंग खेला जाता है, लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी। अशुभ भद्रा काल भी रहेगा। इसी कारण किसी पंचांग में होलिका दहन 6 तो किसी में 7 मार्च को बताया गया है।
कैसे तय होता है होलिका दहन का मुहूर्त ?
होलिका दहन का मुहूर्त तीन बातों से तय होता है। मुहूर्त में पूर्णिमा तिथि और सूर्यास्त के बाद का समय, जिसे प्रदोष काल कहते हैं, ये दोनों होना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि भद्रा काल न हो ।
पूर्णिमा और भद्रा कब से कब तक रहेगी?
पूर्णिमा 6 मार्च की शाम साढ़े 4 बजे शुरू होगी। 7 मार्च की शाम 6.10 तक रहेगी। भद्रा 6 मार्च की शाम 4.18 से 7 मार्च की सुबह सूर्योदय तक रहेगी। इसमें भद्रा का पुच्छ काल 6 और 7 मार्च की दरमियानी रात 12.40 से 2 बजे तक रहेगा।