जया किशोरी ने श्रद्धा और अंधभक्ति में बताया अंतर, एक लाइन में स्पष्ट कर दी पूरी बात

दूसरों को गलत साबित करने की नहीं होनी चाहिए प्रवृत्ति 
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jaya kishori

difference between reverence and blind devotion: कथावाचक जया किशोरी अपने भजनों के साथ ही मोटिवेशनल कोट्स के लिए भी काफी फेमस हैं। लोगों की जिंदगी से जुड़ी कई अहम बातों पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये हैं। जया किशोरी ने श्रद्धा और अंधभक्ति के बीच अंतर को भी स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि कई बार लोग श्रद्धा और अंधभक्ति के बीच के फर्क नहीं कर पाते हैं। दरअसल अंधभक्ति का मतलब है कि आप बिना कोई सवाल उठाये भक्ति करें, जबकि श्रद्धा में आप सवाल भी पूछते हंैं। गीता से इसे और भी स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है, अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण में अपार श्रद्धा है, लेकिन वह उनसे सवाल भी पूछते हैं। श्रद्धा का मतलब है कि सामने वाला उसके हर सवाल का जवाब जानता है।
 

गलत साबित करने की मंशा न हो
जया किशोरी बताती हैं कि जिनमें भी आपकी श्रद्धा है, उनसे मन में उठने वाले हर सवाल को पूछते रहना चाहिए। लेकिन, सवाल पूछते वक्त इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिये कि हम उत्तर पाने के लिए, अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए सवाल करें। ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए कि हम गलत साबित करने के लिये पॉइंट ढूंढ़ कर सवाल करते रहें।  उन्होंने एक उदाहरण से समझाया एक बार एक शिक्षक क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे थे। वह कक्षा में ब्लैकबोर्ड पर पहाड़ा लिख रहे थे, लेकिन बीच में उन्होंने एक नंबर गलत लिखा दिया, जिस पर सारे बच्चे हंसने लगे। तब टीचर ने बच्चों को ये समझाइश दी कि दूसरों को गलत साबित करने की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए। एक गलत नंबर के अलावा ब्लैकबोर्ड पर मैंने कितना सही लिखा है उसपर ध्यान देना चाहिये। तभी आप कुछ सीख सकेंगे, सिर्फ दूसरों की गलती निकालने से कुछ हासिल नहीं हो पायेगा।