Ram Mandir Ayodhya: श्री राममंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के बाद 115 गांवों के ठाकुर 500 साल बाद पहनेंगे पगड़ी

5 दशकों के बाद पूरी हुई प्रतिज्ञा, राम मंदिर के ध्वस्त होने के बाद ली थी शपथ

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आगामी २२ जनवरी को अयोध्या श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए देश भर में तैयारियां चल रही हैं। इस अवसर पर देश भर में आयोजन व दीपावली जैसा नजारा देखने को मिल सकता है। लेकिन इस अवसर पर सरयू किनारे रहने वाले 115 गांवों के सूर्यवंशी ठाकुर लगभग 500 साल बाद चमड़े की जूतियां व पगड़ी धारण करेंगे।क्यों कि इस समाज की दशकों पुरानी प्रतिज्ञा पूरी होने जा रही है।


 बताया जा रहा है कि तब आक्रमणकारियों के द्वारा मंदिर गिराने से दुखी सूर्यवंशी ठाकुर समाज ने पैरों में चमड़े की जूती और सिर पर पगड़ी न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। दरअसल सरायरासी, राजेपुर और सिरसिंडा सहित  सरयू नदी के दोनों किनारों पर बसे 115 गांवों के सूर्यवंशी ठाकुर खुद को प्रभु राम का वंशज मानते हैं। सूर्यवंशी ठाकुर के इस प्रतिज्ञा का जिक्र किताबों में भी मिलता है। लेखक राम गोपाल विशारद की लिखित 'श्री राम जन्मभूमि का प्राचीन इतिहास के अनुसार 16वीं शताब्दी में राममंदिर के कथित विध्वंस के समय की घटनाओं पर कवि जयराज ने इस प्रतिज्ञा पर दोहा लिखा...
जन्मभूमि उद्धार होए, जा दिन बैरी भाग।छटा जग पनाही नहीं, और नहीं बंधी पाग।।


गांव वालों के द्वारा बताया गया कि लगभग पांच सौ साल पहले बाबर के सेनापति मीर बाकी ने शाही सेना के साथ राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया। हमारे पूर्वज ठाकुर गजराज सिंह को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने बाबर की सेना से युद्ध के हेतु  दो दिन में 90 हजार क्षत्रियों को एकत्रित किया। और युद्ध से पहले सभी ने कुलदेवता सूर्य भगवान के मंदिर में कसम खाई कि जब तक हम राम मंदिर को इनसे आजाद नहीं करा लेंगे, तब तक न तो सिर पर पगड़ी धारण करेंगे, न पैरों में चमड़े की जूती पहनेंगे। 


उसके बाद सभी ने युद्ध किया। छह दिन तक युद्ध में सभी 90 हजार लोग शहीद हो गए। उनके रक्त से धरती लाल हो गई। बताया जाता है उसी रक्तरंजित मिट्टी से बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण कराया था। इसके बाद सूर्यवंशी क्षत्रियों ने शान दिखाने वाले किसी भी काम से दूरी बना ली। यहां रहने वाले राजपूत न तो पैरों में चमड़े की जूतियां पहनते हैं और न सिर पर पगड़ी रखते हैं।