Open Jail: कैदी दिन में काम कर शाम को लौट सकेंगे जेल, सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की बढ़ती भीड़ पर दिया सुझाव

कैदियों की भीड़ का सबसे बड़ा समाधान ओपन जेल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- साइकोलॉजिकल प्रेशर घटेगा

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सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को कहा कि ओपन जेल की स्थापना जेलों में भीड़-भाड़ और रिहेब की समस्या का समाधान हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि ओपन या हाफ ओपन जेल कैदियों को दिनभर जेल परिसर से बाहर काम करने और शाम वापस जेल में लौटने का ऑप्शन देता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि ओपन जेल कैदियों को समाज में घुलने-मिलने और उनके साइकोलॉजिकल प्रेशर को कम करने में भी मदद केगा। साथ ही कैदियों की आजीविका में भी सुधार करेगा। जेल और कैदियों की हालत से जुड़ी एक

भारत के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
भारत की जेलें क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या से जूझ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादा हैं। इसी तरह की समस्या से लगभग सभी ज्यादा कैदी होने का मुद्दा कई बार उठाया है। दिल्ली की तिहाड़ जैसी जेल में क्षमता के मुकाबले 60 फीसदी कैदी जेलें जूझ रही हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जैलों में क्षमता से कैदी होने का कई बार मुद्दा उठाया हैै।


 

कोर्ट ने ई प्रिजन मॉड्यूल की आवश्यकता पर दिया जोर
याचिका कि मौजूदा दौर में राजस्थान ओपन जेल का व्यवस्था पर अच्छे ढंग से काम हो रहा है। कोर्ट चाहती है कि देश भर में ओपन जेल का विस्तार हो। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले के माध्यम से कोर्ट अन्य अदालतों में चल रहे जेल और कैदियों से जुड़ें लंबित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया डि एजेंसी ने ओपन जेल को लेकर सभी राज्यों से उनके विचार मांगे थे। जिस पर अब तक 24 राज्यों ने अपना जवाब भेजे हैं।

 

मामले में न्यायमित्र के तौर पर काम कर रहे सीनियर वकील विजय हंसारिया ने कैदियों में लॉ अवेयरनेस की कमी का हवाला देते हुए कहा कि दोषियों को सूचित नहीं किया जाता है कि वे कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अपीलीय अदालत में संपर्क करके अपने मामले से जुड़ी कमियों को दूर करवा सकते हैं और सजा से बच सकते हैं। हंसरिया के इस तर्क पर कोर्ट ने देश में यूनिफॉर्म ई- प्रिजन मॉड्यूल की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ई प्रिजन मॉड्यूल इस तरह की समस्याओं को आसानी से निपटाया जा सकता है। कोर्ट ने एनएएलएसए के वकील और सीनियर वकील विजय हंसारिया से मामले में आगे भी न्यायमित्र के तौर पर कोर्ट की सहायता करने का अनुरोध किया है।