Live In Relationship: लिव इन में रहने वालों के लिए आए सख्त नियम, सरकार को देनी होगी जानकारी

मामला छिपाने पर होगी जेल व 25 हजार का जुर्माना, उत्तराखंड राज्य सरकार ने लिया कड़ा फैसला  

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समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। इस कानून में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन न करने पर जेल हो सकती है और जुर्माना देना पड़ सकता है।

6 फरवरी को विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक पेश कर दिया था। धामी द्वारा सदन में पेश किए गए विधेयक में 392 धाराएं थीं, जिनमें से केवल उत्तराधिकार से संबंधित धाराओं की संख्या 328 थी। अब इसकी स्वीकृति मिल चुकी है।

सजा व जुर्माना, दोनों का प्रावधान
लिव इन में पंजीकरण न कराने पर अधिकतम तीन माह का कारावास और 10 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रविधान है। गलत जानकारी देने अथवा नोटिस देने के बाद भी जानकारी न देने पर अधिकतम छह माह के कारावास अथवा अधिकतम 5 हजार रुपए गए जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। यदि कोई पुरुष महिला सहवासी को छोड़ता है तो महिला सहवासी उससे भरण पोषण की मांग कर सकती है।

 


रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य

  • - समान नागरिक संहिता कानून का तीसरा खंड सहवासी (लिव इन रिलेशनशिप) पर केंद्रित किया गया है।
  • - इसमें लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
  • - यह स्पष्ट किया गया है कि इस अवधि में पैदा होने वाला बच्चा वैध संतान माना जाएगा। उसे वह सभी अधिकार प्राप्त होंगे. जो वैध संतान को प्राप्त होते हैं।
  • - इसमें निषेध डिग्री के भीतर वर्णित संबंधों को लिव इन में रहने की अनुमति नहीं दी  जाएगी।
  • - संबंध कोई भी पक्ष समाप्त कर सकता है। संबंधित क्षेत्र के निबंधक को जानकारी उपलब्ध करानी होगी। साथ ही दूसरे सहवासी को भी इसकी जानकारी देनी होगी।
  • - यह उन पर लागू नहीं होगा, जिनकी रढ़ि और प्रथा ऐसे संबंधों में उनके विवाह की अनुमति देते हों। यद्यपि ऐसी रूढ़ि और प्रथा लोकनीति और नैतिकता के विपरीत नहीं होनी चाहिए।
  • - युगल में से किसी एक पक्ष के नाबालिग होने अथवा विवाहित होने की स्थिति में लिव इन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • - राज्य के भीतर लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले चाहे उत्तराखंड के हों या अन्य।