Singrauli News: सिंगरौली के एक जर्जर भवन में संचालित हैं सीडीपीओ दफ्तर, हादसों के बाद भी प्रशासन की नहीं टूट रही नींद

कलेक्ट्रेट से चंद कदम दूर संचालित है महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय 

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Singrauli

सिंगरौली। राजस्थान में स्कूल की जर्जर छत गिरने से सात बच्चों की मौत और नौ की हालत गंभीर हो गई थी। कहीं ना कहीं सरकार की लापरवाही इस हादसे की वजह रही, कुछ ऐसी स्थिति सिंगरौली जिले में महिला एवं बाल विकास परियोजना सिंगरौली शहरी और ग्रामीण का दफ्तर किराए के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है।


भवन की छत और दीवार के सीलन इस कदर है कि भवन कब गिर जाए, कहा नहीं जा सकता। दफ्तर में गंदगी के बीच शौचालय की हालत बद से बदतर है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं नजर आ रहे। बता दें की हर साल 800 करोड़ रुपए का राजस्व देने वाले सिंगरौली जिला में सरकारी दफ्तरों का टोटा हैं।


 जिले को बने हुए करीब 17 साल पूरा होने को है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपने मातहत कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आ रहे। यहां महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय सिंगरौली शहरी और ग्रामीण का आज भी दफ्तर किराए के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। 


भवन की छत और दीवार की सीलन  के साथ-साथ गंदगी के बीच शौचालय की हालत बद से बदतर है। दफ्तर में जगह-जगह पान की पीक के साथ गंदगी का अंबार है। वहीं आए दिन महिला बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण और अन्य बैठके इसी कार्यालय में होती हैं। 


यहां दर्जनों कर्मचारी दिन भर ड्यूटी करते हैं। इस समय बारिश का मौसम चल रहा है, जहां कार्यालय की छत टपक रही है, छत का प्लास्टर मुंह फाड़ कर फर्स की ओर देख रहा है। ऐसे में हादसा कब-कैसे हो जाए कोई नही जानता। 


सामग्री खरीदी के लिए अटूट पैसा और दफ्तर के लिए टोटा
महिला एवं बाल विकास विभाग जिले का एक महत्वपूर्ण विभाग होने के बावजूद भी जर्जर भवन और कूड़े के बीच में संचालित हो रहा है। यहां अधिकारियों के पास सामग्री खरीदने के लिए अकूत पैसा है, लेकिन भवन के लिए पैसे का टोटा हैं।

हालांकि चर्चा है कि अधिकारियों को सामग्री खरीदी में कमीशन का जुगाड़ हो जाता है, लिहाजा अधिकारी दफ्तर को बनवाने की जगह सामग्री खरीदने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। शहरी और ग्रामीण परियोजना में जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैला रहता है, जिससे मच्छरों और मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। हालात यह है कि जर्जर भवन और गंदगी के बीच संचालित होने से न केवल कामकाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि कर्मचारियों और आगंतुकों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है।


दफ्तर है या फिर भूतों का डेरा
महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय सिंगरौली शहरी व ग्रामीण का जो दफ्तर नगर पालिक निगम सिंगरौली के साड़ा भवन में संचालित हो रहा है, वह पूरी तरीके से खण्डहर में तब्दील हो चुका है। जैसे ही मुख्य द्वार से सीढ़ी पर प्रवेश करते हैं, वही से ऐसा प्रतीत होता है कि ये कोई सरकार का दफ्तर नही, बल्कि भूतों का डेरा लगता है। 


चारों तरफ गंदगी का माहौल सीढ़ियों में पानी-गुटको की पीक ऐसी दुर्गंध मारता है कि सीढ़ी चढ़ना मुश्किल भरा लगता है। वहीं जैसे ही सीढ़ी के ऊपर दोनों परियोजना कार्यालय के प्रवेश द्वार के गैलरी में अंधेरा छाया हुआ रहता है और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर आने-जाने वाले लोगों सहित अधिकारी-कर्मचारी कूडे का ढेर लगा दिए हैं। वही अगर बिजली गुल हो जाती है तो चन्द कदम दूर भी चलना काफी मुश्किल हो जाता है।