Rewa News: रीवा- मऊगंज जिलों में सर्पदंश का कहर

गत वर्ष की तुलना में दोगुनी हुईं मौतें, झाड़-फूंक के चक्कर में भी कई ने गंवाई जान

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रीवा/मऊगंज। बारिश के मौसम में जहरीले सांपों के काटने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ जाती है। सर्पदंश की वजह से बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गवां देते है। पिछले साल की तुलना में इस साल सर्पदंश से मरने की संख्या दो गुना अधिक है। ये सभी लोग अपने घरों में सांपों के हमले का शिकार हुए और अपनी जान गवा बैठे। 


बताया गया है कि गत वर्ष की तुलना इस वर्ष दो गुना अधिक लोग सर्पदंश का शिकार हुए। सांप के काटने की आए दिन घटनाएं होती है। अक्सर लोग रात को सोते समय और काम करते समय खेतों में सांपों के हमले का शिकार हुए है। 


जब भी किसी को सांप काटता है तो उसका जहर काफी तेजी से असर करता है और उसको तत्काल इंजेक्शन की जरुरत होती है लेकिन अक्सर देखने में आता है कि गांवों से लोग समय पर मरीज को अस्पताल नहीं पहुंचा पाते है जिसकी वजह से मरीज की जान चली जाती है। 


बताया गया है कि सांप काटने की वजह से इस साल मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा र्है। गत वर्ष संजय गांधी अस्पताल में 15 जून से 31 अगस्त के बीच में सांप के काटने से 18 लोगों की मौत हुई थी। इस साल यह संख्या बढ़कर 40 हो गई है।


दो गुना से ज्यादा लोग सांप काटने से अपनी जान गवां चुके है। अस्पताल में सांप काटने से आने वाले मरीजों की संख्या भी काफी ज्यादा है। इनमें वही लोग बच पाते है जो समय पर अस्पताल पहुंच जाते है। अन्यथा अन्य लोगों का जीवन बचाना मुश्किल हो जाता है।


झाड़-फूंक बनती है बड़ी बाधा
सांप काटने से घायल हुए लोगों को बचाने के लिए सबसे बड़ी बाधा झाड़फंूक बनती है। झाड़फूंक की वजह से अधिकांश लोगों की मौत होती है। सांप काटने पर ग्रामीण इलाकों में लोग मरीज को तंत्रमंत्र से ठीक करने की कोशिश करते है। तांत्रिक को बुलवाकर झाड़-फूंक करवाते है। जब शरीर में सांप का जहर अपना काम कर देता है तब उसको अस्पताल लाते है। उस स्थिति में जीवन बचाना मुश्किल हो जाता है।


घबराहट से होती हैं ज्यादा मौतें
सांप काटने के बाद लोगों की मौत जहर से कम होती है क्योंकि ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते है। सांप काटने के बाद सबसे ज्यादा मौत घबराहट की वजह से होती है। मरीज सांप काटने के बाद घबरा जाता है और उस स्थिति में उनका हृदय रुकने की संभावन बढ़ जाती है। घबराहट की वजह से हार्ट अटैक से उनकी मौत हो जाती है। इस वर्ष भी सर्पदंश से मरने वाले ज्यादातर मरीजों की मौत हृदय गति रुकने की वजह से हुई है।


इनका कहना है-
सर्पदंश की वजह से आए दिन मरीज अस्पताल पहुंचते है। जो मरीज सर्पदंश का शिकार होते है उनको जल्द एंटी स्नैक विनम इंजेक्टशन लगना होता है। अक्सर लोग अस्पताल आने में देरी कर देते हैं और झाड़फूंक के चक्कर में काफी देर कर देते हैं जिससे जान बचाना मुश्किल हो जाता है। सर्पदंश का शिकार लोगों को तत्काल अस्पताल लाए जिससे उनकी जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।
-डॉ. अतुल सिंह, सीएमओ एसजीएमएच