Rewa News: रीवा पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अधिवेशन का किया शुभारंभ
विन्ध्य ने हमें सफेद बाघ और थल तथा नौसेना अध्यक्ष का गौरव दिया है: रामनाथ कोविंद
साहित्य परिषद अधिवेशन के विचार मंथन का अमृत देश को दिशा देगा: उप मुख्यमंत्री
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का रीवा एयरपोर्ट पर आत्मीय स्वागत किया गया। श्री कोविंद रीवा में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अधिवेशन में शामिल होने के लिए भोपाल से वायुयान द्वारा रीवा पहुंचे।
रीवा एयरपोर्ट में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, सांसद जनार्दन मिश्र, जिला पंचायत अध्यक्ष नीता कोल, कमिश्नर बीएस जामोद, आईजी गौरव राजपूत, कलेक्टर प्रतिभा पाल, पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान सहित जनप्रतिनिधियों, साहित्य परिषद के पदाधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के 17वें अधिवेशन का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। रीवा के कृष्णा राज कपूर आडिटोरियम में आयोजित समारोह में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि विन्ध्य साहित्य और संगीत के साधकों की भूमि है।

यह बीरबल और तानसेन जैसे व्यक्तियों की जन्मभूमि है। विन्ध्य सफेद बाघ के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। विन्ध्य ने हमें सफेद बाघ ही नहीं वर्तमान में थल सेना अध्यक्ष उपेन्द्र द्विवेदी और नौ सेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश त्रिपाठी दिए हैं।
यह विन्ध्य ही नहीं पूरे देश के लिए बहुत बड़ा गौरव है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तीन दिवसीय अधिवेशन ने देश भर के साहित्यकारों और विद्वानों को इस पावन भूमि के सानिध्य का अवसर दिया है। अधिवेशन का मूल वाक्य आत्मबोध से विश्वबोध है। अपने आपको जब हम ठीक से जानकर सच्चे अर्थों में आत्मबोध कर लेंगे तभी हमें विश्व का बोध होगा।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जो स्वयं को जान लेता है वही विश्व कल्याण कर सकता है। जब आत्मबोध और आत्मशक्ति क्षीण होने लगती है तब हम पराभव की ओर जाते हैं। ऐसे में राष्ट्र गुलामी की जंजीरों में जकड़ जाता है। देश में सदियों की पराधीनता में भी साहित्य ने बौद्धिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों का दीप जलाए रखा।
स्वाधीनता संग्राम में साहित्य और साहित्यकारों का अतुलनीय योगदान है। स्वाधीनता के बाद देश में विकास की चेतना के लिए भी साहित्य सशक्त माध्यम बना। साहित्य से ही हमें आर्थिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना मिलती है। इन्हें साहित्य ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है।
वंदे मातरम का 150वां स्मरोणत्सव
समारोह में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि साहित्य परिषद के तीन दिवसीय अधिवेशन में विद्वानों द्वारा किए गए विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा वह देश को नई दिशा देगा। रीवा में अधिवेशन का आयोजन होना हम सबके लिए बहुत बड़ा गौरव है। विन्ध्य को महामृत्युंजय भगवान, माँ शारदा, माँ विन्ध्यवासिनी, चिरहुलानाथ स्वामी, रानी तालाब की कालिका देवी का आशीर्वाद प्राप्त है।
माँ नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक और भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट भी विन्ध्य में ही है। आज का दिन हम वंदे मातरम गीत के 150वें स्मरोणत्सव को मना रहे हैं। आज ही इस अधिवेशन का शुभारंभ हमारे लिए अविस्मरणीय है।
समारोह में साहित्य परिषद के वरिष्ठ साहित्यकार विश्वास पाटिल ने रोचक संस्मरणों के साथ अपनी साहित्यिक यात्रा और साहित्य परिषद के कार्यों की जानकारी दी। समारोह में साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ ऋषि कुमार मिश्र ने साहित्य परिषद के कार्यों और उपलब्धियों का विवरण प्रस्तु किया।
पूर्व राष्ट्रपति को भेंट की गई स्मृति चिन्ह, सुपारी की कलाकृति

समारोह में पूर्व राष्ट्रपति ने रेवाखण्डे पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति को साहित्य परिषद की ओर से स्मृति चिन्ह और सुपारी की कलाकृति भेंट कर सम्मानित किया गया।
समारोह में सांसद जनार्दन मिश्र, विधायक मऊगंज प्रदीप पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष नीता कोल, साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ सुशीलचंद्र त्रिवेदी तथा प्रांताध्यक्ष राकेश सोनी, जिलाध्यक्ष शिवानंद तिवारी तथा अधिवेशन संयोजक चंद्रकांत तिवारी सहित देश भर के एक हजार से अधिक साहित्यकार शामिल हुए। अधिवेशन का संचालन साहित्य परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ पवनपुत्र बादल ने किया।