Rewa News: रीवा में बोले सीएम डॉ. मोहन यादव- निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता ही लोकतंत्र की असली ताकत है
मुख्यमंत्री ने आयुध डिजिटल मीडिया के समारोह को वर्चुअली किया संबोधित

रीवा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता ही लोकतंत्र असली ताकत है। पत्रकारिता से जुड़े कलम के सिपाही बिना वर्दी के वह सैनिक हैं जिनका मेडल लोकतंत्र की रक्षा और समाज कल्याण है। मुख्यमंत्री ने आयुध डिजिटल मीडिया के समारोह को रीवा से वर्चुअली संबोधित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुध डिजिटल मीडिया मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपरा और वीरता को स्थान देने के साथ ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव को समाज के सामने लाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। मेरी अपेक्षा है कि शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार आपके माध्यम से हो और समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ ले सकें।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में चंदेरी और रायसेन के जौहर के साथ ही भीमानायक, देवी सिंह भील, मखन सिंह कोरकू की भी चर्चा होनी चाहिए। मध्यप्रदेश में समृद्ध पत्रकारिता का इतिहास रहा है। इस धरती ने ऐसे पत्रकारों को जन्म दिया जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी कलम को हथियार बनाया।
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, प्रभाष जोशी के साथ ही वेदप्रताप वैदिक ने पत्रकारिता में प्रतिमान स्थापित किए। राजनीति के अजात शत्रु पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी राजनीति में आने से पहले एक उम्दा पत्रकार थे। जिन्होंने निर्भीक और विचारशील पत्रकारिता की नीव रखी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के युग में डिजिटल मीडिया सबसे तेज और सुलभ माध्यम बन गया है। जिसके जरिए खबरे कुछ ही सेकण्ड में लाखों लोगों तक पहुंच जाती हैं। लेकिन इसकी संग्रहणीयता बहुत सीमित है। पत्रिका के रूप में प्रकाशित सामग्री न केवल लंबे समय तक संरक्षित रहती है बल्कि उसे गंभीरता से पढ़ा और समझा भी जाता है।
यह पत्रिका निश्चित ही बड़े जनमानस तक पहुंचेगी और समाज में सकारात्मक, रचनात्मक संवाद स्थापित करने का प्रभावी माध्यम बनेगी। मध्यप्रदेश सरकार ने कलम के सिपाहियों के अधिकार और सम्मान की सुरक्षा का संकल्प लिया है। वरिष्ठ और बुजुर्ग पत्रकारों को मासिक सम्मान निधि दी जा रही है।
सामान्य एवं गंभीर बीमारियों के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने कहा कि युवाओं को हर क्षेत्र में अवसर मिलना चाहिए। चाहे वह पत्रकारिता हो, उद्यमिता, कला या नवाचार।
ऐसे प्रयास न केवल युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगे बल्कि राज्य की रचनात्मक और बोद्धिक शक्ति को भी मजबूत करेंगे। उन्होंने अपेक्षा की कि 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने में संचार माध्यम की बड़ी भूमिका होगी।