Rewa-Shahdol News: रीवा और शहडोल संभाग की वनाधिकार अधिनियम की आयोजित हुई संयुक्त कार्यशाला

जनजातियां वनों की सबसे बड़ी पोषक और संरक्षक हैं: बीएस जामोद

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वनाधिकार के तहत सामुदायिक दावे तत्परता से मान्य करें: सुरभि गुप्ता 

रीवा/शहडोल। वनाधिकार अधिनियम की रीवा और शहडोल संभाग की संयुक्त कार्यशाला विन्ध्या रिट्रीट होटल के सभागार में आयोजित की गई। कार्यशाला के प्रथम दिन वनाधिकार समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के सदस्यों को सामुदायिक दावों के निपटारे के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया। 


... तो आज वन भी नाममात्र के ही बचे होते
कार्यशाला में रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम ने पीढ़ियों से वन भूमि में खेती करने वाले तथा रहने वाले जनजातीय परिवारों एवं अन्य परिवारों के अधिकारों को मान्यता दी है। इसने वर्षों से वनों के साथ सह अस्तित्व में वनवासी परिवारों को जमीन का मालिकाना हक दिया है। 


जनजातीय परिवार परंपरागत रूप से वनों के पोषक और संरक्षक हैं। उनकी आजीविका मुख्य रूप से वनों पर ही निर्भर रही है। उनके रीति रिवाज, परंपराएं और धार्मिक अनुष्ठानों में भी वन अनिवार्य रूप से शामिल रहा है।

वनाधिकार अधिनियम से व्यक्तिगत दावे में बहुत अच्छा कार्य हुआ है। अब सामुदायिक दावों को भी मान्यता देकर जनजातीय परिवारों की हमें सहायता करनी है। जनजातीय परिवार अगर न होते तो आज वन भी नाममात्र के ही बचे होते।

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अब किसी के मन में संदेह नहीं रहना चाहिए
कार्यशाला में शहडोल संभाग के कमिश्नर सुरभि गुप्ता ने कहा कि कार्यशाला में सामुदायिक दावों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। सामुदायिक दावों के निराकरण के लिए अब किसी के मन में संदेह नहीं रहना चाहिए। वनाधिकार अधिनियम के तहत दर्ज सामुदायिक दावों का तत्परता से निराकरण करें।


 मुख्य वन संरक्षक रीवा राजेश राय ने कार्यशाला में कहा कि वनाधिकार अधिनियम ने जनजातीय परिवारों को भू अधिकार पत्र देकर उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन किया है। व्यक्तिगत दावों के साथ-साथ वन भूमि में निस्तार और सामुदायिक उपयोग को भी एक्ट में मान्य किया गया है। 


कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर वाई गिरि राव ने कहा कि सामुदायिक दावे से वन, राजस्व, जनजातीय कार्य और ग्रामीण विकास विभाग जुड़े हैं। अधिनियम के तहत गठित समितियों को राज्य से लेकर ग्राम स्तर तक कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश के 54903 गांवों में से 26555 गांवों में वनाधिकार एक्ट के दावे मान्य किए गए हैं।


राष्ट्रीय वन नीति, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम तथा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान रखते हुए सामुदायिक दावे मान्य किए जाएंगे। कार्यशाला में वन-राजस्व सीमा विवाद के निराकरण के लिए वनों के व्यवस्थापन, पेसा एक्ट तथा वन संरक्षण के उपायों पर भी चर्चा की गई।


 कार्यशाला में रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, अनूपपुर, मऊगंज तथा मैहर जिलों के कलेक्टर शामिल रहे। कार्यशाला में रीवा और शहडोल संभाग के जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, वन मण्डलाधिकारी, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, जिला संयोजक ट्राईबल उपस्थित रहे। कार्यशाला के समापन पर उपायुक्त ट्राईबल ऊषा अजय सिंह ने आभार व्यक्त किया।