MP News: मध्यप्रदेश में पच्चीस हजार सालाना फीस लेने वाले निजी स्कूल रेगुलेशन के दायरे से बाहर

मप्र निजी विद्यालय विधेयक में होगा संशोधन, अधिनियम लागू होने के बाद 17 हजार निजी स्कूलों को होगा फायदा

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भोपाल। पच्चीस हजार रुपए तक की सालाना फीस लेने वाले प्रदेश के निजी स्कूल फीस रेगुलेशन एक्ट के दायरे में नहीं आएंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधयेक-2024 तैयार किया है। सरकार इस विधेयक को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी। 


इस अधिनियम के लागू होने के बाद से प्रदेश के 35 हजार निजी स्कूलों में से 17 हजार से ज्यादा स्कूल इस दायरे से बाहर हो जाएंगे। मप्र सरकार ने प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा फीस में वृद्धि एवं इससे जुड़े अन्य विषयों का नियमन करने के लिए मप्र निजी विद्यालय (फीस और संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 बनाया है।


इस अधिनियम को 2018 में लागू किया गया था। इसके बाद इस अधिनियम के अधीन मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) नियम 2020 में प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार प्राईवेट स्कूलों की फीस और अन्य विषयों पर निर्णय लेकर फीस विनियमन कर सकेगी। अधिनियम में निजी स्कूलों द्वारा पिछले वर्ष के लिए निर्धारित फीस में बिना अनुमति 10 प्रतिशत वृद्धि करने का प्रावधान है।


फीस में दस फीसदी से ज्यादा वृद्धि करने के लिए जिला कमेटी से अनुमति लेना जरूरी है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभिभावकों से कम फीस लेने वाले स्कूल यदि 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस में वृद्धि करते हैं, तो अभिभावकों पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ता, लेकिन यदि अभिभावकों से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूल 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ाते हैं, तो अभिभावकों पर ज्यादा आर्थिक भार पड़ता है। 


विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद 25 हजार रुपए तक वार्षिक फीस लेने वाले स्कूलों को अधिनियम के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया गया है। यदि 25 हजार तक सालाना फीस लेने वाला कोई स्कूल फीस में 15 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि करता है, तो उसे जिला कमेटी से अनुमति लेना होगी। यदि वह बिना अनुमति के 15 प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ाता है, तो उसके खिलाफ अधिनियम के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।


जबलपुर कलेक्टर ने वापस कराई थी फीस
कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना ने मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निजी स्कूलों पर गत सितंबर में कड़ी कार्रवाई की थी। कलेक्टर की बनाई गई जिला समिति ने 8 निजी स्कूलों को 54 करोड़ 26 लाख रुपए अभिभावकों को लौटाने का आदेश दिया था। सभी स्कूलों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। 


मप्र निजी विद्यालय फीस अधिनियम में यह हैं प्रावधान 
कोई भी निजी स्कूल प्रबंधन फीस में पिछले वर्ष के लिए निर्धारित फीस की तुलना में 10 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकेगा। फीस में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी के लिए स्कूल को जिला कमेटी से अनुमति लेना होगी। 15 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि के लिए प्रस्ताव राज्य कमेटी के पास भेजा जाएगा। किसी निजी स्कूल का प्रबंधन या उसकी ओर से कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत तय शुल्क से अधिक शुल्क एकत्र नहीं करेगा। 


किसी निजी स्कूल का प्रबंधन किसी भी छात्र, माता-पिता या अभिभावक से किसी भी नाम से कोई दान या कैपिटेशन शुल्क प्राप्त नहीं करेगा। निजी स्कूल फीस जमा करने के लिए बैंक खाता मेनटेन करेगा और जमा की गई फीस की रसीद छात्र, माता-पिता या अभिभावक को निर्धारित तरीके से दी जाएगी। अगर कोई स्कूल अतिरिक्त फीस वसूलता है, तो जिला या राज्य कमेटी को उस फीस को वापस कराने का आदेश देने का अधिकार होगा।