MP News: एमपी में जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अब सीधे जनता करेगी

नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में किए गए बदलाव के बाद सरकार ने बढ़ाया एक और कदम

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सुझाव देने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में बनाई गई समिति, रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा फैसला

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव को लेकर किए गए बदलाव के बाद राज्य सरकार ने अब इस दिशा में एक और कदम बढ़ा दिए हैं। जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष का चयन भी अब सीधे जनता करेगी। इसको लेकर राज्य सरकार जल्दी कानून बनाने जा रही है। 


इस बारे में सुझाव देने को लेकर मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट के बाद इस बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा।


मध्यप्रदेश में नगर पालिका, जनपद पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अभी तक सीधे जनता के जरिए नहीं होता था। नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करते थे। इस बारे में राज्य सरकार ने नियम बदल दिए हैं। 


अब पार्षद का चुनाव अलग होगा और महापौर की तर्ज पर नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। राज्य सरकार कमोबेश इसी तरह का बदलाव पंचायत एट में भी करने जा रही है। अभी जनपद पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य करते हैं। 


अब सरकार नगर पालिका की तरह जनपद पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने की तैयारी में है। इसको लेकर सरकार ने अपने स्तर पर तेजी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।


इसको लेकर मंत्री पटेल की अगुवाई में समिति बना दी गई है। समिति को जल्दी अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। पटेल को चुनाव को लेकर सुझाव देना है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे बढ़ेगी। 


माना जा रहा है कि आगामी पंचायत चुनाव नई प्रणाली से कराए जाएंगे। इसमें ज्यादा दिकत इसलिए भी नहीं है, क्योंकि त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली में यह प्रावधान पहले से लागू है। ऐसा इसलिए कि ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच का चुनाव सीधे जनता करती है। पंच के चुनाव अलग होते हैं। 


अब इसी प्रणाली को जनपद पंचायत और जिला पंचायत में लागू करने की तैयारी है। जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जनता करेगी। सदस्यों का चुनाव पहले की तरह होता रहेगा। जनपद पंचायत और जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव पहले की तरह होता रहेगा।


40 से 50 लाख रुपए में बिक रहे पंचायत सदस्य
जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्ष का चुनाव करने में लोकतांत्रिक प्रणाली का क्षरण हो रहा है। कई बार देखने में आया कि आर्थिक रूप से ताकतवर उमीदवार चुनाव में बाजी मार ले जाते हैं। जिन जनपद पंचायत और जिला पंचायत सदस्यों की स्थिति आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होती है, वे अध्यक्ष की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार देखा गया कि जिला पंचायत के सदस्य 40 से 50 लाख रुपए लेकर अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। 


कमोबेश यही स्थिति जनपद पंचायत के सदस्य करते हैं। जनपद अध्यक्ष के चुनाव में भी पांच से बीस लाख रुपए तक का खेल चलता है। सरकार जो नया नियम बनाने जा रही है, उससे इस तरह की हार्स ट्रेडिंग पर लगाम लगेगा।


समान रूप से पूरे जनपद क्षेत्र का नहीं होता विकास
हार्स ट्रेडिंग के जरिए जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने वाले उमीदवार और नेता बनने के बाद समान रूप से क्षेत्र का विकास नहीं करते हैं। जब पैसा खर्च कर कुर्सी पर पहुंचते हैं, उसके बाद वे अपने व्यतिगत एजेंडे में लग जाते हैं। ऐसा इसलिए कि जनपद और जिला पंचायत का अध्यक्ष बनने के बाद उनका एजेंडा विधानसभा चुनाव का टिकट हासिल करना होता है।


लिहाजा वे एक निश्चित क्षेत्र का विकास करने में लग जाते हैं। समान रूप से पूरे क्षेत्र का विकास नहीं होता है। सदस्य भी ज्यादा नहीं बोल पाते हैं, क्योंकि वे पहले से मोटा माल हासिल कर चुके होते हैं। कई जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद सदस्यों को टका सा जवाब भी देते हैं, क्योंकि पहले खर्च किया है, तो कमाना भी है। यानी तमाम प्रयासों के बावजूद चुनाव में हार्स ट्रेडिंग रुकती नहीं है।


इनका कहना है-
जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी शासन स्तर पर चल रही है। इसकी तैयारियों और मसौदे पर विचार करने को लेकर हमें जिमेदारी मिली है। हमारा प्रयास होगा कि अगले सत्र में इसे सदन में पेश कर दिया जाए।
-प्रहलाद सिंह पटेल, मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास