MP News: छतरपुर के जंगलों से लकड़ी की अवैध कटाई; बातचीत का ऑडियो वायरल, डिप्टी रेंजर निलंबित

सेंचुरी अधीक्षक पारदे का वीडियो वायरल होने के तीन दिन बाद भी विभाग ने नहीं की कोई कार्रवाई

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भोपाल। वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से छतरपुर के जंगलों में अवैध कटाई का कारोबार चल रहा है। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में छतरपुर रेंज के बसारी सर्कल के डिप्टी रेंजर रविकांत खरे और लकड़ी चोर के बीच बातचीत चल रही है।


खरे सुबह से पहले कटाई करवाने की बात कर रहे हैं। वीडियो वायरल होने 24 घंटे के भीतर खरे को निलंबित कर दिया गया है। इसके इतर, चंबल सेंचुरी के अधीक्षक योगेंद्र पारदे का वीडियो वायरल होने के तीन दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।


ऑडियो के वायरल होने पर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हरकत में आए और सागवान लकड़ी से लदी ट्रैक्टरट्रॉली जब्त कर लिया। ऑडियो के वायरल होने की पुष्टि करते हुए छतरपुर वन संरक्षक नरेश यादव ने किया है। उनके निर्देश पर खरे को निलंबित किया गया है। 


यहां यह उल्लेखनीय है कि छतरपुर वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार का इलाका है। राज्य मंत्री के गृह क्षेत्र में करीब 12000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर अवैध खेती हो रही है। इसके अलावा अवैध कटाई का कारोबार भी चल रहा है। छतरपुर में रह चुके आईएफएस अधिकारी बताते हैं कि खरे का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब है। यह बात अलग है कि पूर्व में डीएफओ रहे अनुराग कुमार ने उन्हें उड़न दस्ता का प्रभारी बना रखा था।


आप आकर मिलो, तो आपके क्षेत्र में दौरा नहीं करेंगे
इसके पहले देवास डिप्टी रेंजर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उसने साफ तौर पर यह बात कही थी कि रेंजर का प्रभार लेने के लिए 5 लाख तक देने पड़े। कुछ साल पहले एक पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी का ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें अधिकारी यह कहते हुए सुने गए कि आप आकर मिलो, तो आपके क्षेत्र में दौरा नहीं करेंगे। 


इन्हीं कुछ सालों में शहडोल में माइनिंग माफिया और एक महिला रेंजर का ऑडियो वायरल हुआ था। आज वही, महिला रेंजर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पदस्थ हैं और एक साल से अधिक समय से डिंडोरी में एक शासकीय आवास पर कब्जा जमाया हुआ है। राजनीतिक रसूख के चलते एडीएम से लेकर डीएफओ तक महिला रेंजर से बलात कब्जा मकान खाली नहीं कर पा रहे हैं।


ऑडियो-वीडियो वायरल होने का सिलसिला जारी
जंगल महकमे में लंबे समय से ऑडियो-वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन्हीं के जरिए वन विभाग के प्रबंधन और प्रोटेक्शन की पोल खुलती आ रही है। ऑडियो-वीडियो वायरल होने के बाद कार्रवाई तो होती है, लेकिन बाद में उन्हीं किरदारों को प्राइम पोस्टिंग दे दी जाती है।


 मसलन, पिछले दिनों राज्य वन सेवा के सबसे सीनियर एसडीओ एवं श्योपुर में राष्ट्रीय चंबल अयारण्य के अधीक्षक योगेंद्र पारदे के दो वीडियो सामने आए हैं। एक में वह वनकर्मियों को चंबल नदी के घाटों से रेत उत्खनन करवाकर हर महीने लाखों रुपए कमाकर देने के निर्देश दे रहे हैं।


 दूसरे में वह माफिया से मिले पैसों को बांटने की बात कहते नजर आ रहे हैं। दस लोगों का मैनेजमेंट है। सीसीएफ, डीएफओ और रेंजर सबको बंटेगा। तब काम चलेगा। मेरे पास डेढ़ लाख रुपए बचेगा। पारदे पूर्व में भी निलंबित हो चुके हैं। बावजूद इसके बहाली के बाद उन्हें चंबल नदी से अवैध-उत्खनन करने के लिए चंबल अयारण्य का अधीक्षक बना दिया गया। दिलचस्प पहलू यह है कि विभाग ने अभी तक एसडीओ पारदे के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। एसडीओ योगेंद्र ने यह साफ कर दिया कि अवैध उत्खनन से वसूली की गई किन-किन के बीच बंटती है।