MP News: शहडोल, अनूपपुर और उमरिया सहित एमपी के पांच जिलों में दवाइयों का सैंपल लेने में औषधि निरीक्षक नहीं ले रहे रुचि
निरीक्षण भी नहीं किया, अमानक दवाओं के मामले सामने आने के बाद भी निरीक्षकों ने बरती लापरवाही
भोपाल। प्रदेश सहित देशभर में अमानक और नकली दवाओं कई मामले सामने आ चुके हैं। इसे देखते हुए मप्र में दवाओं की जांच के निर्देश दिए गए थे। कुछ जिलों में तो औषधि निरीक्षकों ने तय लक्ष्य से भी अधिक नमूने ले लिए, लेकिन कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहां न तो औषधि निरीक्षकों ने दुकानों का निरीक्षण करना जरूरी समझा और न ही दवाओं के सैंपल लेने में रूचि दिखाई।
इसका खुलासा खाद्य एवं औषधि की पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में हुआ है। समीक्षा बैठक में पिछले आठ महीनों का रिपोर्ट कार्ड विभागीय अधिकारियों की ओर से पेश किया गया। इसमें औषधि नमूने लेने में कई जिलों ने तय लक्ष्य से भी अधिक दवाइयों के नमूने ले लिए, तो कई अपना खाता भी नहीं खोल सके। इससे साफ है कि दवाओं की जांच में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है। पांच जिलों की स्थिति सबसे खराब रही। इसमें अनुपपुर, गुना 15, आगर, शहडोल, उमरिया और नरसिंहपुर जिले फिसड्डी रहे हैं।
दवाओं के सैंपल लेने में अव्वल
अब तक सतना में 133 फीसदी, सीहोर में 116, उज्जैन में 109, धार में 108 और रतलाम में 106 फीसदी दवाओं के सैंपल लिए गए हैं। इसी तरह मेडिकल और दवा कारखानों का निरीक्षण करने में उज्जैन ने 125 फीसदी, सतना 113, छतरपुर 111 और ग्वालियर में 109 फीसदी सैंपल लिए गए।
लायसेंस निलंबन में भोपाल और निरस्तीकरण में इंदौर शीर्ष पर
लायसेंस निलंबन की कार्रवाई में भोपाल जिला सबसे आगे है। भोपाल में सबसे अधिक 64 दुकानों के लायसेंस सस्पेंड किए गए हैं। इसके बाद इंदौर में 50, उज्जैन में 41, राजगढ़ में 37 और ग्वालियर में 29 दुकानों के लायसेंस निलंबित किए गए। आगर, अनुपपुर, शहडोल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा और झाबुआ जिले में एक भी लायसेंस निलंबन की कार्रवाई नहीं की गई। लायसेंस निरस्तीकरण करने में इंदौर अव्वल रहा।
इंदौर में 282 लायसेंस निरस्त किए गए। इसके अलावा भोपाल में 176, उज्जैन में 76, खरगोन में 37 और रीवा में 37 दुकानों के लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की गई। निरस्तीकरण के मामले में कुछ जिले पूरी तरह फिसड्डी रहे। इसमें आगर, अनुपपुर, शहडोल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, निवाड़ी, डिंडोरी, गुना, बैतूल और नर्मदापुरम में एक भी कार्रवाई नहीं हुई।
बीमा अस्पताल में बांट दी गई अवमानक पैरासिटामोल टेबलेट
मध्य प्रदेश में रोगियों को रोग से अधिक दर्द सरकारी व्यवस्था दे रही है। जो दवाएं खाकर रोगी खुद के ठीक होने की उम्मीद लगाए रहता है, वही दवाएं गुणवत्ता में फेल हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला बीमा अस्पताल का सामने आया है। यहां पर मरीजों को दी जाने वाली पैरासिटामोल आईपी 500 टेबलेट औषधि विभाग की प्रयोगशाला में अवमानक पायी गई हैं।
टेबलेट के अवमानक होने का खुलासा होने के बाद जब दवाओं को बीमा अस्पताल के अधीक्षक से हटाने की बात कही गई तो उन्होंने बताया कि उक्त औषधियां केंद्रीय भंडार इंदौर के वाउचर सीएसटी- 777 दिनांक 2 जुलाई 22 के द्वारा 1 हजार प्रदाय की गई थी। जिनका उपयोग पूर्व में किया जा चुका है।
यह जिले रहे फिसड्डी
प्रदेश के अनुपपुर में 20 फीसदी, गुना में 15, आगर, शहडोल और नरसिंहपुर में दवाओं के सैंपल ही लेना जरूरी नहीं समझा गया। इन जिलों में एक भी नमूना दवाइयों का नहीं लिया गया। दवा दुकानों के निरीक्षण की बात करें, तो उमरिया में 21 फीसदी, अनुपपुर में 14 फीसदी और आगर, शहडोल व नरसिंहपुर में निरीक्षण ही नहीं किया गया। इन जिलों में पिछले आठ महीनों में औषधि निरीक्षकों ने जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा है।