हस्तमैथुन कितना गलत, कितना सही: जानिए क्या कहता है मेडिकल साइंस

लेख- अनुभव पाण्डेय
हस्तमैथुन ( Masturbation ) – यह एक ऐसा विषय है, जिसका जुड़ाव प्रायः हर इंसान की जिंदगी में कभी न कभी होता है, लिहाजा इससे संबंधित कई प्रश्न हमारे दिमाग में उमड़ते- घुमड़ते रहते हैं, लेकिन सामाजिक रूप से वर्जित होने के कारण हम इस विषय पर चाहकर भी चर्चा नहीं कर पाते। हमारी इसी झिझक और सीमित सोच के दायरे के कारण कथित चिकित्सा के अवैध बाजार और नीम-हकीम हमारी अज्ञानता का जबरदस्त फायदा उठाते हैं।
दरअसल, हस्तमैथुन ( Masturbation ) को मेडिकल साइंस Medical Science असल में कोई बीमारी या समस्या मानता ही नहीं है। प्रायः लोगों के मन में एक सामान्य धारणा है कि हस्तमैथुन पाप है। यह शारीरिक दुर्बलता को जन्म देता है, भविष्य में आपको माता-पिता बनने के सुख से वंचित रख सकता है, बाल झड़ने लगते हैं, गाल पिचक जाते हैं, कमर दर्द हो सकता है। इसके अलावा भी तमाम अवैज्ञानिक बातें हमारे दिमाग सेक्स चिकित्सा के नाम पर फल- फूल रहे अवैध बाजार ने भरी हैं। इस विशेष लेख के जरिए हम आपको हस्तमैथुन ( Masturbation ) के न सिर्फ वैज्ञानिक पक्ष से रूबरू करवाएंगे बल्कि मेडिकल साइंस ( Medical Science ) के नजरिये से भी आपको बताएंगे कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) की सही और सटीक जानकारी देंगे।
हस्तमैथुन: अपराधबोध से बचें
सेक्स और इससे संबंधित अन्य क्रियाओं को लेकर हमारे समाज में बात करने को ‘गलत’ माना जाता है, जो स्वाभाविक तौर पर हमारे जिज्ञासु दिमाग में कई तरह की गलत जानकारियों का कारण बनता है। हस्तमैथुन को लेकर भी अक्सर लोगों के मन में ऐसी ही गलत जानकारियों और अपराधबोध-पाप की भावना देखने को मिलती है। इस अपराध बोध का फायदा तांत्रिक और जड़ी-बूटी वाले बाबाओं ने खूब उठाया। मनोचिकित्सकों का कहना है कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) को लेकर खुद को नियंत्रित करने, अपराध, पाप या ग्लानि जैसी भावनाओं का अनुभव करने की आवश्यकता ही क्यों है? हस्तमैथुन, अप्राकृतिक नहीं है। यह मस्तिष्क में उपजने वाली एक सामान्य सी इच्छा है, जिसे हमारी नासमझी का फायदा उठाकर सैकड़ों वर्षों से असामान्य क्रिया के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा है।
हस्तमैथुन कितना गलत-कितना सही?
Masturbation कितना गलत-कितना सही, यह प्रश्न प्रायः हर युवा, या कहें संभवत: हर आयुवर्ग के मन में रहता ही है, पर कभी इसपर न तो खुल कर बात की गई। न ही लोगों को इस विषय में कोई सटीक जानकारी ही मिल पाती है। हस्तमैथुन के बारे में सही ढंग से समझने के लिए Live Good Morning ने Madhya Pradesh की राजधानी Bhopal के कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट एंड साइकोसेक्सुअल एक्सपर्ट Dr. Satyakant Trivedi से बात की। इस बारे में Dr. Satyakant Trivedi का कहना है – Sex और Sexual Desire को लेकर बात करना सामाजिक रूप से निषेध माना जाता है, ऐसा करने वालों के प्रति लोगों के देखने का नजरिया बदल जाता है। आज जरूरत यह है कि इन विषयों पर गंभीरता से बात की जानी चाहिए।
Dr. Satyakant Trivedi के मुताबिक, हस्तमैथुन ( Masturbation ) पूरी तरह से सामान्य मानवीय क्रिया है, इससे किसी भी तरह का न तो शारीरिक नुकसान होता है और न ही मानसिक नुकसान, तब तक, जबतक यह आपके कंट्रोल में है। जब आप हस्तमैथुन ( Masturbation ) के कंट्रोल में हो जाएं तब जरूर यह एक समस्या की श्रेणी में शामिल हो जाता है। यह बात तो हर विषय में लागू है। अति हर जगह बुरी ही होती है।
कितना नुकसानदायक है हस्तमैथुन
मनोचिकित्सक Dr. Satyakant Trivedi बताते हैं, हस्तमैथुन ( Masturbation ) पूरी तरह से स्वस्थ क्रिया है, यह हमारी सेक्स की इच्छाओं की पूर्ति का एक साधन है। इसको लेकर समाज में व्याप्त अशिक्षा और गलत जानकारियों ने इससे नुकसान, जैसे प्रश्न मन में पैदा कर दिए हैं। वे आगे कहते हैं कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) क्रिया पूर्णत: सामान्य है, इसके कोई नुकसान नहीं हैं और न ही इससे भगवान नाराज होते हैं। हां, हस्तमैथुन के बारे में दिमाग में गलत जानकारियां रखना, हस्तमैथुन करने के बाद ऐसा लगना जैसे कोई पाप किया है, यह भावनाएं आपके लिए जरूर नुकसानदायक हैं। अगर यह लंबे समय तक दिमाग में बनी रहती हैं तो इससे चिंता-तनाव, अवसाद, जैसी दिक्कतें जरूर हो सकती हैं।
महिला-पुरुष, दोनों हस्तमैथुन ( Masturbation ) करते हैं, और एक सीमा तक यह दोनों के लिए स्वस्थ है। अगर आप अपने आनंद के लिए हस्तमैथुन कर रहे हैं तो यह पूर्णत: स्वस्थ है, पर अगर यह आपकी मजबूरी बन गया है और आपको करना ही पड़ रहा है, तो फिर यह स्थिति समस्या का कारण बन सकती है।
हस्तमैथुन: समाज में फैली भ्रांतियां और यथार्थ
Dr. Satyakant Trivedi के अनुसार Sex-Masturbation सदियों से समाज में चर्चा के लिए प्रायः ‘निषेध विषय’ हैं, ऐसे में गलत जानकारियों का फैलना या दिमाग में बैठ जाना नितांत स्वाभाविक है। नीम- हकीम और सेक्स चिकित्सा के नाम पर फलफूल रहे अवैज्ञानिक, स्वघोषित अवैध लोगों ने आमजनमानस में सेक्स, हस्तमैथुन( Masturbation ) को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां पैदा की हैं।
लिंग के आकार पर असर- हस्तमैथुन ( Masturbation ) से लिंग के साइज, शेप, टेस्टोस्टेरोन या इस्ट्रोजन लेवल ( क्रमश: पुरुषों और महिलाओं को सेक्स के लिए प्रेरित करने वाला हार्मोन ), यौन क्षमता, फर्टीलिटी में कोई कमी नहीं आती। हाथ, आंख, कान, पैर हो या कोई अन्य, क्या शरीर में कोई ऐसा अंग है, जिसका उपयोग करने पर उसके साइज पर फर्क पड़ता है?
हस्तमैथुन: कितने बार सही- Dr. Satyakant Trivedi कहते हैं, शादी के बाद दिन में कितनी बार संभोग करना है, प्रेमी-प्रेमिका के संभोग की क्या कोई तय संख्या होती है? तो हस्तमैथुन ( Masturbation ) को लेकर यह सवाल क्यों? हां, पर इसका एक पहलू यह भी है कि अगर हमें दिन में बार-बार इसी की इच्छा होती रहती है, सारा काम छोड़कर यही करना पड़ता है तो इसपर जरूर विचार करने की आवश्यकता है।
क्या वीर्य की गुणवत्ता पर पड़ता है असर-आमतौर पर धारणा रही है कि 100 बूंद खून से 1 बूंद वीर्य निर्मित होता है, ऐसे में हस्तमैथुन ( Masturbation ) करने से वीर्य की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। Dr. Satyakant Trivedi कहते हैं, यह सेक्स की दवाइयों की बिक्री के लिए फैलाया गया मायाजाल है। संभोग और हस्तमैथुन दोनों ही स्थितियों में चरमोत्कर्ष में वीर्य निकलता है, तो संभोग के दौरान निकलने वाला वीर्य स्वस्थ और हस्तमैथुन करने से निकलने पर अस्वस्थ या इसकी गुणवत्ता में कमी कैसे आ सकती है? वीर्य तो एक ही है। अगर ऐसा होता, तो हर शादीशुदा व्यक्ति कमजोरी का शिकार ही होता।
दरअसल, पुरुषों की प्रजनन प्रणाली विशेष रूप से निरंतर शुक्राणु के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिए डिज़ाइन की गई है। अंडकोष में शुक्राणु का निर्माण होता है। हर दिन हमारे रक्त की ही तरह, शरीर में लाखों शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन होता रहता है। अंडकोष में छोटी नलियों की एक प्रणाली होती है। इन ट्यूबों को ‘सेमिनिफेरस ट्यूबल्स’ कहा जाता है, इनमें पुरुषों के सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और अन्य जर्म कोशिकाएं होती हैं जो शुक्राणु को निर्मित करती हैं। जब कोई पुरुष, यौन क्रिया के लिए उत्तेजित होता है तो शुक्राणु कोशिकाएं और प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा निर्मित सीमनल फ्ल्यूड (एक सफेद तरल) वीर्य निर्मित करते हैं। उत्तेजना के परिणामस्वरूप, वीर्य ( जिसमें 500 मिलियन के करीब शुक्राणु होते हैं) निकलता है। शरीर में यह क्रिया लगातार चलती रहती है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ( National Cancer Institute ) के एक अध्ययन से पता चलता है कि एक जर्म कोशिका से अंडे के निषेचन में सक्षम परिपक्व शुक्राणु कोशिका बनने की प्रक्रिया में लगभग 2.5 महीने लगते हैं।
हस्तमैथुन: क्या कहते हैं रिसर्च
हस्तमैथुन ( Masturbation ) के शरीर पर प्रभाव को जानने के लिए किए गए अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि इससे कोई हानिकारक दुष्प्रभाव नहीं होता है। मेडिकल साइंस इसे स्वस्थ ‘सेक्सुअल एक्टिविटी पार्ट’ के तौर पर देखता है। अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि संयमित हस्तमैथुन ( Masturbation ) करने से आपके दिमाग और शरीर को कई फायदे भी हो सकते हैं। लेकिन इसकी लत एक बड़ी समस्या का रूप ले सकती है। कुछ रिसर्च हस्तमैथुन क्रिया के लाभ का भी जिक्र करते हैं। यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ यूरोलॉजी द्वारा साल 2016 में किए गए एक शोध में पाया गया कि नियमित स्खलन (संभोग या हस्तमैथुन के माध्यम से) प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन पुरुषों ने प्रति माह 21 बार तक स्खलन किया, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने का जोखिम कम था। इसी प्रकार साल 2003 में बीजेयू BJU Journal में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी शोधकर्ताओं ने पाया कि जो पुरुष हफ्ते में पांच बार तक स्खलन करते हैं, उनमें कम बार स्खलन करने वालों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने की आशंका कम होती है।
वैवाहिक जीवन पर हस्तमैथुन का क्या पड़ता है असर
Masturbation पर किए गए कई Research से पता चलता है कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) किसी भी तरह से वैवाहिक जीवन के सुख, माता-पिता बनने या वीर्य की गुणवत्ता पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालता है। यहां तक कि जर्नल ऑफ सेक्स एजुकेशन एंड थेरेपी द्वारा साल 2015 में किए गए एक शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) करने वाली महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी, हस्तमैथुन न करने वालों की तुलना में अधिक खुशहाल होती है। मायोक्लीनिक की रिपोर्ट का कहना है कि हस्तमैथुन ( Masturbation ) का पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होता है। कुछ शोध कहते हैं कि बिना स्खलन के दो से तीन दिनों के बाद वीर्य की गुणवत्ता अधिक प्रभावी होती है, हालांकि अन्य अध्ययनों का मानना है कि दैनिक स्खलन के साथ भी सामान्य शुक्राणु गतिशीलता और गुणवत्ता बनी रहती है। इस प्रकार, विभिन्न शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि हस्तमैथुन ( Masturbation ), वैवाहिक जीवन के लिए भी स्वस्थ आदत है, इसके कोई नुकसान नहीं हैं।
हस्तमैथुन ( Masturbation ), नुकसानदायक नहीं है इसका अर्थ यह भी नहीं है कि यह स्वास्थ्यवर्धक है या शक्तिवर्धक है। हमें बस समाज में फैले अज्ञानता के मायाजाल से निकलकर इतना ही समझ लेना है कि जब तक हस्तमैथुन ( Masturbation ) हमारे कंट्रोल में है इससे कोई नुकसान नहीं है, पर अगर हम इसके कंट्रोल में हैं तो आपको काउंसलिंग की आवश्यकता है।
हस्तमैथुन: UK के लोग अव्वल
Masturbation रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम के पुरुष और महिलाएं विश्व में सबसे ज्यादा हस्तमैथुन किया करते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम के 96 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं, जबकि यहां की 78 प्रतिशत महिलाएं यौन संतुष्टि के लिए हस्तमैथुन किया करती हैं। जर्मनी के 93 प्रतिशत पुरुष मास्टरबेशन करते हैं जबकि जर्मनी की 76 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के 92 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं जबकि 76 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन किया करती हैं। ताइवान के 94 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं, जबकि ताइवान की 65 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं। जापान के 96 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं जबकि यहां की 58 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं। दक्षिण कोरिया के 96 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं, जबकि यहां की 56 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के 80 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं जबकि यहां की 48 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं। भारत में 70 प्रतिशत पुरुष हस्तमैथुन करते हैं। भारत की 37 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं।
Disclaimer (अस्वीकरण): इस लेख को स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव और उनसे बातचीत करके, मेडिकल रिपोर्ट्स/ अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है। इस लेख का उद्देश्य आमजनमानस में व्याप्त गलत और अवैज्ञानिक जानकारियों से आपको सचेत करना और वैज्ञानिकता से रूबरू कराना मात्र है। यह लेख, हस्तमैथुन ( Masturbation ) को किसी भी प्रकार से बढ़ावा देने को कत्तई प्रेरित नहीं करता है।