Rewa News: बोरवेल से मयंक को निकालने प्रशासन ने झोंकी ताकत, फिलहाल नहीं नजर आ रही मूवमेंट

मौके पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, मुख्यमंत्री डॅा मोहन यादव ने कलेक्टर-एसपी से ली जानकारी 

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रीवा। बोरवेल में फंसे मयंक को बाहर निकाले के लिए रीवा जिले का प्रशासन पूरी ताकत के साथ लगा हुआ। 18 घंटे से अधिक समय से चल रहे रेस्क्यू ऑपेरेशन के बाद भी अभी तक बच्चे को बाहर नहीं निकाला जा सका है। बताया जा रहा है कि उसके ऊपर मिट्टी आने से वह और गहराई में चला गया। 8 जेसीबी मशीनों के द्वारा पैरलल खुदाई की जा रही है।  वहीं 60 फीट से अधिक खुदाई के बाद पानी निकल आया। जिसके बाद एनडीआरफ की टीमें मैनुअल खुदाई कर रही हैं। चिंता की बात यह है कि फिलहाल बच्च्ेा में कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा है। 


बता दें कि रीवा जिले से 90 किमी दूर मनिका गांव में शुक्रवार की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे मयंक आदिवासी 160 फीट गढ्डे में उस वक्त गिर गया था जब वह गेहूं की बाली बिन रहा था। जिसके बाद आनन फानन में प्रशासन को सूचना दी गई थी। बच्चे के मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है। मौके पर भारी भीड़ जमा है। मासूम के लिए 100  मीटर लंबी पाइप बोरवेल में डालकर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है। कैमरे से भी हलचल देखी जा रही है। फिलहाल हलचल रूकी हुई है।

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एसपी कलेक्टर सहित पूरा प्रशासन लगातार रेस्क्यू में जुटा हुआ है। क्षेत्रीय विधायक सिद्धार्थ तिवारी भी मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू पर नजर बनाए हुए हैं। शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल मौके पर पहुंचे। डिप्टी सीएम को देख मासूम के माता पिता का सब्र टूट गया वह उनके पैर पकड़कर मयंक को बचाने की गुहार लगा रहे थे। डिप्टी सीएम ने कहा कि मयंक को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। लगातार प्रशासन की टीमें लगी हुई हैं। 

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मुख्यमंत्री बनाए हुए हैं नजर 
इस बीच इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान सामने आया है। न्यूज एजेंसी एएनआई से सीएम ने कहा, हमने रेस्क्यू टीम लगाई हुई है, लेकिन बारिश से मिट्टी गीली होने के कारण काफी कठिनाई आ रही है। बच्चे को बचाने के लिए जो भी जरूरत पड़ेगी वो सब करेंगे। हमारे विधायक सिद्धार्थ तिवारी मौके पर हैं। कलेक्टर और एसपी से मेरी बात हुई है। रेस्क्यू टीम लगी हुई है, उम्मीद कर रहे हैं कि हम सब मिलकर सफल हों। इसके साथ ही डॉ. यादव ने कहा कि मैंने प्रशासन को पहले भी निर्देश दिए हैं, पुन: निर्देश दे रहा हूं कि किसी भी क्षेत्र में अगर खुले हुए बोरवेल हों तो उनको तुरंत बंद कराए। खासकर ऐसे सूखे बोरवेल जिनमें पानी नहीं आता है। इससे जिंदगी का बहुत बड़ा नुकसान होता है। इससे बचना चाहिए। हम उम्मीद करेंगे कि आने वाले समय में ऐसी घटना न हो।


 
बच्चे की मां शीला आदिवासी अपनी मासूम बेटी को गोद में लेकर रातभर घटनास्थल पर बैठी रही। वहीं बच्चे के दादा हिन्चलाल आदिवासी को भी उसके सुरक्षित बाहर निकलने की उम्मीद है। वे कहते हैं- भगवान पर भरोसा है।  

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