MP News: 2026 में मलेरिया मुक्त हो जायेगा प्रदेश, 6 वर्ष में कम हो गए 96 फीसदी केस

हर जिले में मरीजों में आ रही भारी कमी, सफल हो रहे सरकार के प्रयास

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malariya

मलेरिया उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का रंग दिखने लगा है। मप्र में मलेरिया के मामले में पिछले छह साल में करीब 96 प्रतिशत मरीजों की कमी आई है। इससे उम्मीद जगी है। कि 2025 के अंत तक यानी 2026 में मप्र मलेरिया मुक्त हो जाएगा। सरकारी कोशिश और जागरुकता के चलते मलेरिया के मामलों में कमी तो आई है, लेकिन अब भी इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। बीते सात सालों में प्रदेश में मलेरिया के मामले सात गुना तक कम के कम हुए हैं। 


 

ऐसे कम हुए प्रदेश में मलेरिया केस
मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज के काटने से होता है। साफ और 20 मिलीलीटर ठहरे पानी में ये मच्छर में पनपता है। उम्र छह से आठ सप्ताह है। केंद्र सरकार का 2030 तक मलेरिया खात्मे का लक्ष्य व अभियान सफल हो रहा है। 2018 में संचारी रोग अभियान में 30 दिन गाव-शहर में सफाई, जलमराव न होने स्कूलों में बच्चों को जानकारी देने अभियान में 12 विभाग शामिल हुए। ठहरे साफ पानी में फ्टी लायां छिडकाव केरोसिन छिडकना और पानी को दंक कर रखने जागरुकता किया। गांव-गांव मलेरिया रथ मेजा, शिविर में जांच, लोगों को जागरूक करने नुक्कड़ नाटक समेत अन्य आयोजन किए मासमलेरिया को को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। यही कारण है कि यह रोग धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। आने वाले सालों में मलेरिया पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

 

 गौरतलब है की मप्र में कोरोना काल से मरीजों की कमी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में लोगों ने साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा यही कारण है कि मलेरिया के केस लगातार कम हो रहे हैं। एक विशेषज्ञ ने बताया कि मध्य प्रदेश में मलेरिया कम होने के प्रमुख कारण कोरोना की वजह से लोग साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने लगे और मच्छरों में काफी कमी आई। मलेरिया विभाग नगर निगम और एंबेड परियोजना के सहयोग से प्रदेश भर में जनजागरूकता अभियान चलाया। स्कूल, कॉलेज से लेकर धर्मगुरुओं को भी इस अभियान में शामिल किया। अभियान में एंबेड परियोजना के कर्मचारी झुग्गी बस्तियों तक पहुंच कर लोगों को जागरूक किया।

 

 

 मलेरिया विभाग के आंकड़े को देखें तो जहां वर्ष 2015 में 25 जिले केटेगरी 3 में सम्मिलित थे, वहीं वर्ष 2023-24 में एक भी जिला कैटेगरी 3 में सम्मिलित नहीं है। इस प्रकार प्रदेश सभी जिलों में मलेरिया एपीआई एक से कम दर्ज किया गया है।  


 

अब 3000 में एक पॉजिटिव मरीज मिल रहा
2018 में प्रदेश में 22,000 से ज्यादा मरीज मिले थे जो 2024 में घटकर तीन हजार रह गए। दरअसल, बीमारी देने वाली मादा एनाफिलीज का गणित समझ में आते ही विभाग के भाग के साथ लोगों ने जागरुकता बरती और मलेरिया के मामले भी घटने लगे। इन पांच सालों में मलेरिया से सिर्फ सात मरीजों की मौत हुई है, जबकि 2010 तक हर साल मलेरिया से दर्जनों मौत होती थीं। इन सबके बावजूद मलेरिया अभियान पूरी तरह सफल नहीं है। दरअसल सरकार ने 2030 तक मलेरिया को पूरी तरह 1 खत्म करने का लक्ष्य तय किया था। बावजूद अब भी तीन हजार मरीज हर साल मिल रह हैं।