MP News: चेक बाउंस का केस लगाना है तो जमा करनी होगी 3 से 5 प्रतिशत की राशि, यह नियम केवल एमपी में

बढ़ते चेक बाउंस के मामलों को देखते हुए लिया गया है निर्णय 

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 आपको मप्र की किसी कोर्ट में चेक बाउंस का केस लगाना है तो उसके लिए फीस जमा करनी होगी। यानी कि चेक बाउंस के केस की सुनवाई तभी होगी जब आप मप्र शासन द्वारा निर्धारित शुल्क जमा कर देंगे। यह फीस चेक की रकम की तीन से पांच फीसदी तक हो सकती है। यहां बता दें कि शुल्क जमा करने का नियम केवल मप्र में हैं। उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में इस तरह की कोई फीस वसूलने नियम  नहीं  है।  कार्यालय ग्वालियर के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2023-24 में चेक बाउस के मामलों में बतौर शुल्क 4.01 करोड़ रुपए जमा किए गए। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर में हर साल कितनी राशि वसूली जा रही है।  

कितनी राशि पर कितनी फीस

             राशि                     फीस

  • 1 लाख तक            5 प्रतिशत
  • 1-5 लाख तक         4 प्रतिशत
  • 5 लाख से अधिक     3 प्रतिशत

नोट- कोर्ट में जमा करने वाली फीस की अधिकतम लिमिट डेढ़ लाख रुपए तय की गई है।

 

 मप्र राजपत्र में संशोधन किया गया, जिसके बाद शुल्क वसूली का प्रावधान अस्तित्व में आया। इससे पहले इस तरह के मामलों में कोई फीस नहीं ली जाती थी। केस की संख्या बढ़ी तो शुल्क जमा करने का नियम बनया गया। ऐसे केसों में पैरवी करने वाले अधिकांश वकीलों का ये मानना है कि चेक बाउंस केस की संख्या बढ़ने के कारण मप्र शासन ने ये नियम बनाया। जिसमें शुल्क जमा करने की अनिवार्यता की गई।

 

 

 वकीलों ने बताया कि पूर्व में कई लोग पैसे उधार देते समय बतार सिक्योरिटी चेक ले लेते थे। कई निजी संस्थान भी नौकरी देते समय बतौर सिक्योरिटी, कर्मचारी से चेक ले लेते थे। जैसे ही कर्मचारी ने नौकरी छोड़ी। वैसे ही कोर्ट में चेक बाउंस का केस लगा दिया। ठीक इसी तरह पैसे वापस लौटाने के बाद भी कई लोग बुरी नीयत से केस लगा देते। जब से फीस जमा करने का नियम आया। उसके बाद से ऐसे केसों की संख्या में बहुत तेजी से गिरावट आई।

 

साल दर साल बढ़े केस
जिला न्यायालय, ग्वालियर की बात करें तो यहां वर्तमान में लगभग 6 कोर्ट में चेक बाउंस के केसों की सुनवाई हो रही है। जबकि कुछ दिन पूर्व ही कोर्ट संख्या 3 थी। बीते कुछ साल के आंकडों पर नजर डालें तो 2019 में 3895, 2020 में 1205. 2021 में 2317, 2022 में 4602 और 2023 में 58:18 केस दर्ज हुए। केस संख्या ज्यादा होने के कारण एक केस की अगली सुनबाई से 5 माह बाद आ पाती है