MP के सिगरौली में अकूत सिलिका; अब एनसीएल निकालेगी, कर रही तैयारी

सोने के भाव से कम नहीं है सिंगरौली  की मिट्टी की कीमत
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प्रदेश की उर्जाधानी सिंगरौली में अचूक खनिज संपदा का भंडार है। यहां सोने की खदान के साथ काले हीरे का भी भंडार है। अब यहां की मिट्टी की भी कीमत किसी सोने के भाव से कम नहीं होगी, क्योंकि यहां की मिट्टी से सिलिका निकलेगा। एनसीएल यानी कोयले का उत्पादन करने वाली भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी सिलिका निकालने की तैयारी में है।

गुणवत्ता, लागत और लाभ से लेकर कई बिन्दुओं पर एनसीएल ने आइआइटी खड़गपुर के साथ शोध शुरू किया है। कंपनी के अधिकारियों की माने तो सफलता मिलने की पूरी संभावना है। सिलिका का प्रयोग सोलर प्लांटों में लगने वाले प्लेट व शीशे के बर्तन बनाने सहित अन्य कई उत्पाद में प्रयोग होता है। एनसीएल के अधिकारियों के मुताबिक प्राथमिक परीक्षण में मिले नतीजों के मुताबिक ओबर बर्डन (ओबी) यानी खदान की मिट्टी में सिलिका की पर्याप्त मात्रा मिलने की संभावना है। माना जा रहा है कि जिस तरह से सोलर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ रही है। ऐसे में ओबी से सिलिका का उत्पादन कंपनी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। चूंकि सिलिका का उपयोग सोलर प्लेट के अलावा दूसरे उत्पाद तैयार करने में भी किया जाता है, इसलिए इसकी मांग देश व विदेश दोनों में है।

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रामविजय सिंह, जनसंपर्क अधिकारी एनसीएल ने बताया कि ओबी में सिलिका की मात्रा भी काफी अधिक है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर इस शोध कार्य चल रहा है। पूरी संभावना है कि शोध सफल रहेगा। प्राथमिक आकलन में पर्याप्त मात्रा सिलिका प्राप्त होने की संभावना जताई है। अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।

जल्द ही दूसरी परियोजनाओं में भी होगी शुरुआत

कंपनी वर्तमान में अमलोरी परियोजना में हर रोज एक हजार घन मीटर रेत तैयार कर रही है। अमलोरी का प्लांट अगले 5 वर्ष तक चलेगा। इससे पहले कंपनी जयंत या निगाही परियोजना में एम सेंड प्लांट स्थापित करने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि अमलोरी का प्लांट बंद होने से पहले दूसरी परियोजनाओं प्लांट शुरू हो जाएगा। तैयार रेत निविदा के जरिए एक निर्माण एजेंसी प्राप्त कर रही है।

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शोध में वक्त लगने की संभावना

कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक शोध में लंबा वक्त लग सकता है। फिर भी कोशिश है कि अधिक से अधिक दो से तीन वर्ष में प्लांट की शुरुआत की जाए। गौरतलब है कि ओबी से रेत बनाने के लिए एनसीएल ने तीन वर्ष तक प्रयोग किया था। इसके बाद इस वर्ष जनवरी में उत्पादन कार्य शुरू हो पाया। वर्तमान में कंपनी के अमलोरी परियोजना में रेत बनाया जा रहा है।