Shahdol News: वन व्यवस्थापन पर आयुक्त कार्यालय में प्रशिक्षण सह कार्यशाला का हुआ आयोजन
वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारी आपस में समन्वय कर व्यवस्थापन संबंधी समस्याओं का करें निराकरण: सुरभि गुप्ता

शहडोल। वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारी आपस में समन्वय कर व्यवस्थापन संबंधी समस्याओं का निराकरण करें। आरक्षित तथा संरक्षित वन खंडों का सीमा विवाद बड़ी समस्या रही है। राज्य शासन द्वारा इस संबंध में समय-समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं इन निर्देशों के तहत वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारी आपस में समन्वय कर व्यवस्थापन संबंधी समस्याओं का निराकरण करें।
इस आशय के विचार वन व्यवस्थापन पर आयुक्त कार्यालय शहडोल में आयोजित प्रशिक्षण सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए आयुक्त शहडोल संभाग सुरभि गुप्ता ने मुख्य अतिथि की आसन्दी से व्यक्त किए। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में वनसंरक्षक शहडोल अजय पांडे, कलेक्टर शहडोल डॉ केदार सिंह, कलेक्टर उमरिया धरर्णेन्द्र कुमार जैन, कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली, उपसंचालक बीटीआर पीके वर्मा, वनमण्डलाधिकारी तरुणा वर्मा, श्रद्धा पेन्द्रे, विवेक सिंह, सरला वर्मा संयुक्त आयुक्त विकास मगन सिंह कनेश, संभाग भर से आए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, वन, एसएलआर,वनपरिक्षेत्राधिकारी, मानचित्रकार उपस्थित रहे।
वन संरक्षक वन वृत्त शहडोल अजय पाण्डेय ने की परिभाषा देते हुए बताया कि वन आरक्षित, संरक्षित छोट-बड़े झाड़ के जंगल तथा सामुदायिक या निजी भूमि में 10 हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्र में 2 सौ वृक्ष प्रति हेक्टेयर की संख्या में पाए जाने पर वन की श्रेणी में माना जाएगा। आपने बताया कि आजादी के पूर्व शहडोल संभाग रीवा महाराजा के अधीन था।
यहां रीवा राजा द्वारा बनाए गए नियम एवं जारी अधिसूचनाओं के आधार पर वनों का चिन्हांकन किया गया है। वन व्यवस्थापन से संबंधित समस्त दस्तावेज कलेक्टर एवं वनमण्डलाधिकारियों को उपलब्ध कराकर तेजी से वन व्यवस्थापन संबंधी समस्याओं के निराकरण की अपेक्षा है।
कार्यशाला में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के वन संरक्षक पद से सेवा निवृत्त भोपाल से आए मास्टर ट्रेनर रमेश श्रीवास्तव ने वन व्यवस्थापन पर आने वाली समस्याओं, वनों के चिन्हांकन, उनके सीमांकन तथा राजस्व एवं वन रिकार्डों में संधारण के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इसके पश्चात प्रश्नोत्तरी एवं परिचर्चा का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।