Shahdol News: शहडोल के ग्रामीण अंचल में तेंदू का पेड़ कई परिवारों का है खजाना

पोषक तत्वों से भरपूर है तेंदू फल, पत्ती आती है बीड़ी बनाने काम 

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शहडोल। पेड एक लाभ अनेक, ग्रामीण अंचल के परिवारों का तेंदू का पेड़ खजाना है। तेंदू के पेड़ से मिलने वाला फल खाया जाता है और पत्ती बीडी बनाने काम आती है। तेंदू पत्ता के संग्राहको को सरकार अनेको लाभ देती है। 
गर्मी का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण अंचल के लोग विशेषकर ऐसे परिवार जो वनांचल में निवास करते है, वन विभाग के माध्यम से तेंदू पत्ती तोड़ाई का इंतजार शुरू कर देते है।

ग्रामीण क्षेत्रों, खेतों, जंगलों और गांवों में आपको जगह-जगह लोग एक विशेष प्रकार के पत्ते को इकट्ठा करते नजर आएंगे। भले ही तापमान 38 से 40 डिग्री तक क्यों न पहुंच जाए, ग्रामीण आपको इन पत्तों की तुड़ाई करते मिल जाएंगे। जो इसकी तुड़ाई यह इतनी प्रचंड गर्मी में पूरे परिवार के साथ करते हैं।


पत्ता नहीं पैसों का पिटारा है
प्रकृति ने हमें बहुत कुछ ऐसी चीजें दी हैं। जो अद्भुत हैं और हमारे घर को चलाने में मदद भी करती हैं। मतलब उनसे हमारी आमदनी भी होती है। इन्हीं में से एक चीज है तेंदू। इसके बारे में तो हर कोई सुना होगा।  जंगली पौधा है, इसका फल औषधीय महत्व का होता है।

ताकतवर फल है, जंगली फलों का राजा कहलाता है, लेकिन इसके जो पत्ते हैं, वो ग्रामीण क्षेत्रों में पैसों की बहार लेकर आते हैं। इन पत्तों के बदले में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की ओर से पैसे मिलते हैं। इसीलिए तेंदूपत्ता के सीजन में गांव के अधिकतर घरों के लोग खेत खलिहान और जंगलों में इस पत्ते की तुड़ाई करते मिल जाते है।


ग्रामीणों में गजब क्रेज
तेंदूपत्ता तुड़ाई का ग्रामीणों में गजब क्रेज होता है। इसकी तैयारी वो काफी पहले से करने लगते हैं। जब तेंदूपत्ता का सीजन चलता है, उस दौरान ग्रामीण किसी भी तरह के कार्य में नहीं जाते हैं। सुबह से निकल जाएंगे और तेंदूपत्ता का कलेक्शन करेंगे।

घर आएंगे तेंदूपत्ता की गड्डी बनाएंगे और फिर उसे शाम को बेचने निकल जाएंगे। कितनी भी गर्मी हो, चाहे तापमान 35 से 40 डिग्री क्यों न हो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने से पीछे नहीं हटते हैं, क्योंकि इसके फायदे भी बहुत ज्यादा होते हैं। पैसे भी अच्छे खासे मिलते हैं।


आजीविका का एक बहुत बड़ा साधन 
तेंदूपत्ता कैसे ग्रामीणों को गजब फायदा दिलाता है। इसे लेकर शहडोल दक्षिण वन मंडल डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे ने बताया कि ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता आजीविका का एक बहुत बड़ा साधन है। वन विभाग, संघ या फेडरेशन या सहकारिता कहें, उसके माध्यम से इसका संचालन किया जाता है। 


इस तेंदूपत्ता में बिना लाभ प्राप्त किए, सरकार पूरा का पूरा प्रॉफिट ग्रामीणों को प्रदान कर देती है। चाहे फिर वो बोनस के तरीके से हो, या विकास कार्यों के रूप में हो, या पर्यावरण को सुधारने के तरीके से, या ऐसे जंगल तैयार करना, जिससे भविष्य में ग्रामीणों की अगली पीढ़ी लघु वन उपज को कलेक्ट करके आय के साधन हासिल कर सके। इस तरह के कई स्कीम चलाए जाते हैं। तेंदूपत्ता का कोई भी प्रॉफिट सरकार नहीं लेती है। पूरा का पूरा प्रॉफिट ग्रामीणों को दिया जाता है। तेंदूपत्ता तुड़ाई के बदले में उन्हें अच्छे खासे पैसे भी दिए जाते हैं।


पैसे के साथ विकास कार्य
डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि अगर कोई तेंदूपत्ता तुड़ाई कर रहा है। वो बेचने आता है, तो सर्वप्रथम तेंदूपत्ता का जो कलेक्शन होता है। उसमें सबसे पहले तो एक गड्डी में 50 पत्ते होते हैं। इस तरह से 100 गड्डी बनाए जाते हैं और उस 100 गड्डी पत्ते के 400 रुपए ग्रामीणों को दिए जाते हैं। इसके बाद जो भी तेंदूपत्ता ग्रामीणों से कलेक्ट होता है। उसे वन विभाग या सहकारिता के माध्यम से बेच दिया जाता है। जो कि जंगल से ही बिक जाता है। इसका जो रेट है, वो अलग-अलग होता है। उसमें 400 रुपए देने के बाद जो भी लाभ होता है। उसको हम फेडरेशन के माध्यम से ग्रामीणों को ही तीन प्रकार से देते हैं।


एक तो बोनस के रूप में दिया जाता है, दूसरा उन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य कराए जाते हैं। जैसे उनके गांव में सीसी रोड बनवाना, चौपाल बनवाना, प्रतीक्षालय बनवाना, वो जो चाहते हैं, उस कार्य का विकास कार्य उस गांव में कराया जाता है। इसके अलावा अगली पीढ़ी के लिए एमएफपी माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस के जो वृक्ष होते हैं।


 उसे लगाया जाता है, इसके अलावा उनको कुछ पुरस्कार के रूप में भी दिए जाते हैं। साथ ही आधारभूत सुविधाओं के रूप में उनका इंडिविजुअल ग्रामीणों को प्रदान भी किया जाता है। इस तरह से कई बेनिफिट्स हैं, जो तेंदूपत्ता तुड़ाई करने वाले लोगों को दिए जाते हैं।


बच्चों के पढ़ाने में भी मदद, तेंदूपत्ता तुड़ाई करने वाले लोगों को पैसे तो मिलते ही हैं। गांव में विकास कार्य भी होते हैं। बोनस भी मिलता है, लेकिन बच्चों को पढ़ने में मदद भी सरकार की ओर से मिलती है। इसे लेकर डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि जो भी तेंदूपत्ता तुड़ाई करते हैं, फिर चाहे वो किसी भी समाज के लोग क्यों न हो, सभी जाति वर्ग के लोगों को एकलव्य छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिया जाता है।