Vindhya Mahotsav: विंध्य महोत्सव को भूले सरकार!, देश-विदेश के मशहूर कलाकार करते थे शिरकत

ग्वालियर मेले के स्तर का था दावा, किसी स्तर का नहीं रहा  

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VINDHYA MAHOATSAV

हर साल अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आयोजि होने वाला  महोत्सव कार्यक्रम को जिम्मेदार भूल गए। पिछले 6 साल से विंध्य महोत्सव का आयोजन किया ही नहीं गया। कभी चुनाव तो कभी कोरोना की आड़ लेकर आयोजन नहीं कराया गया। अब तो ऐसा लगता है शासन- प्रशासन के जिम्मेदार विंध्य महोत्सव के आयोजन को भूल ही गए। जबकि विंध्य महोत्सव मप्र शासन के संस्कृति विभाग के कैलेंडर में भी दर्ज है लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रदेश के अन्य जिलों में आयोजित होने वाले उत्सव महोत्सवों के आयोजन पूर्ववत हो रहे हैं लेकिन रीवा में होने वाले विंध्य महोत्सव को लगभग बंद कर दिया गया।

 उल्लेखनीय है कि तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन ने रीवा में विंध्य महोत्सव का आयोजन नए सिरे से आधुनिक स्वरूप में शुरू करवाया था। तीन सालों तक आयोजन भी किया गया लेकिन उनके जाते ही विंध्य महोत्सव का आयोजन बंद कर दिया गया। इसका आयोजन रोकना विंध्य साहित्य व लोककला के लिए बड़ी क्षति है। इस संबंध में स्थानीय लोक साहित्यकारों से भी चर्चा की गई, जिसमें उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन को लोककला सहित्य के हित को देखते हुए सतत आयोजित करने की बात कही।

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व्यवसायिक महत्व भी  
विंध्य महोत्सव का व्यवसायिक महत्व भी हैै। विंध्य महोत्सव कार्यक्रम के दो दिन पूर्व से विंध्य व्यापार मेले का आयोजन किया जाता था। इस मेले में कृषि, मशीनरी सहित तमाम प्रकार के उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई जाती थी। जिसमें स्थानीय व्यापारियों के साथ ही बाहरी बड़ी कंपनियां भी अपना स्टॉल लगाती थीं। नई से लेकर हैवी मशीनरी, व अत्याधुनिक इलेक्ट्रानिक्स सामानों की प्रदर्शनी लगाई जाती थी। लोग खरीददारी भी करते थे।

व्यंजन मेला का भी होता था आयोजन
विंध्य महोत्सव केवल गीत, संगीत, नृत्य तक ही सीमित नहीं अपितु बघेली व्यंजनों का मेला भी लगता था। जिसमें बघेली व्यंजनों का रीवा सहित पूरे विंध्य के लोग लुत्फ उठाते थे, इसके साथ ही अच्छा व्यंजन बनाने वालों को पुरस्कृत भी किया जाता था। इससे लोक व्यंजनों को बढ़ावा मिलता था। 

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हर आयोजन में आते थे मुख्यमंत्री 
विंध्य महोत्सव के पांच दिवसीय आयोजन में हर साल तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आते थे। हजारों की भीड़ उमड़ती थी। बड़े-बड़े सिने कलाकार आते थे। तत्समय आयोजन स्थानीय मंत्री राजेंद्र शुक्ल के निर्देशन में होता था अब जबकि वह उप मुख्यमंत्री हैं, विंध्य की जनता उनसे अपेक्षा कर रही है फिर से विंध्य महोत्सव का आयोजन किया जायेगा।

  
यह कार्यक्रम विंध्य के  कला साहित्य व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता था। जिस तरह से क्रिकेट नेव का आयोजन चुनाव व राजनीतिक घटनाक्रम से अलग सवकर आयोजित किए जाते हैं, उसी प्रकार विंध्य महोत्सव का भी आयोजन सतत किया जाना चाहिए। इससे नवोदित कलाकारों को पहचान के साथ मंच मिलता है। वैसे भी यह संस्कृति विभाग के कैलेंडर में दर्ज है फिर भी बंद कर दिया गया। यह समझ से परे है।