Rewa Rajya: रीवा राज्य की राजगद्दी में नहीं बैठते थे महाराजा, विराजते थे राजाधिराज भगवान श्रीराम

विगत 500 वर्षों से चली आ रही परंपरा, हर वर्ष विजयादशमी पर होता है राजगद्दी पूजन

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गुड मॉर्निंग, रीवा। पूरा देश राममय है। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में 22 जनवरी को उनकी प्रतिमा की प्राणा प्रतिष्ठा होगी। पांच सौ वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद यह अवसर आया जब समस्त सनातनी आह्लादित हैं। लेकिन इससे अद्भुता नहीं है। वनवास के दौरान न केवल प्रभु श्रीराम, मां सीता व अनुज लक्ष्मण के यहां चरण पड़े, अपितु भगवान लक्ष्मण के साम्राज्य की राजधानी भी रीवा ही थी। तभी तो भारत के तमाम राजघरानो में इकलौता रीवा राजघराना है जहां की राजगद्दी पर राजाधिराज भगवान श्रीराम विराजे हैं। पिछले पांच सौ वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है जो देश में अन्यत्र कहीं नहीं है।

अगर रीवा राज्य की बात को जाय तो पांच सौ वर्ष पूर्व देश के पश्चिमी हिस्से (वर्तमान में गुजरात प्रदेश) से आये व्याघ्रदेव सिंह ने विन्ध्य भूभाग में बांधवगढ़ पहुंच कर किले का निर्माण कराया और यहां काबिज हुए थे। लेकिन पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जब भगवान श्रीराम वनवास पूरा कर अयोध्या के राजा हुए तब उन्होंने आर्यावर्त को चार हिस्सों में बांटकर भगवान लक्ष्मण, भरत या रावत की को जिम्मेदारी सौंपी थी। उस समय मध्य भारत से लेकर दक्षिण के पठार तक जहां घने जंगल, आतताई व खतरनाक जानवर रहते थे, का हिस्सा लक्ष्मण जी को सौंपा गया था। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस भू-भाग को लक्ष्मण जी का हिस्सा माना गया और लक्ष्मण जी के अराध्य प्रभु श्री राम जी ही हैं। लक्ष्मण जी राज्य तो किए लेकिन राजगद्दी पर कभी नहीं बैठे, प्रभु श्री राम को ही समर्पित रखे व पूजा करते रहे। यह जानकारी पश्चिम दिशा से विन्ध्य आये राजा व्याप्रदेव सिंह को रही और इन्हीं तथ्यों के अनुसार लक्ष्मण जी के हिस्से में बांधवगढ़ को अपनी राजधानी बनाया और अपने राज्य के राज सिंहासन पर खुद न बैठकर राजाधिराज भगवान श्री राम को पैठाया गया। यह गौरवशाली परंपरा रीवा राज्य के प्रथम महाराज व्याघ्रदेव से लेकर वर्तमान में (महाराजा) पुष्पराज सिंह तक यह परंपरा चलती आ रही है। 

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22 को निकाली जायेगी राजधिराज की रथ यात्रा

अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन को लेकर 22 जनवरी को रीवा किला में राजाधिराज की रथ यात्रा निकाली जायेगी। बताया गया है कि जिस तरह दशहरे में रथ में भगवान विराजमान लेकर निकलते हैं इसी तरह किला में भगवान राम रख में विराजमान लेकर निकलेंगे उनके साथ के मह एवं उनके परिवार के सदस्य माथ में चलेंगे। खयात्रा किला में लेकर स्टेतू दौराहा साई मंदिर होते हुए मानस भवन मार्ग से सीधे अस्पताल चौरास लेते हुए फिर स्टैचू चौरास से सीधे किला की ओर भगवान का रथ रवाना लेगा उसके बाद किला में दीप आदि जला कर कर पूजा अर्थजा के साथ भगवान का स्वागत एवं कार्यक्रम किया जाएगा।