Rewa News: रीवा में मौजूद पौने 400 साल पुरानी बावड़ी का हो रहा जीर्णोद्धार, यहां का शिल्प देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान

नमामि गंगे अभियान अंतर्गत बावड़ी से कई ट्राली कचरा निकाला गया, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया श्रमदान 

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राजतंत्र के जमाने से रीवा में जल स्त्रोतों का विशेष महत्व रहा है। जिसके निशान आज भी जहां-तहां देखे जा सकते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले बघेल शासकों ने कई ऐतिहासिक बावड़ी, तालाब एवं कुओं आदि का निर्माण कराया था। लेकिन समय के बदलते चक्र में आज इनका अस्तित्व खतरे में है। दर्जनों तालाबों को पाट कर बस्ती बना दिया गया। कुंए बावड़ी भी खत्म कर दिए गए। जो बचे हैं वह अपने बुरे दिन काट रहे हैं। इन्हीं में से एक  अज़ब कुंवरी बावड़ी को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। 


पुरातत्व विशेषज्ञ मुकेश एंगल बताते हैं कि रीवा शहर के गुढ़ चौराहे में पास स्थित पौने चार सौ साल पुरानी अज़ब कुंवरी बावड़ी नामक बावड़ी स्थित है, जिसका निर्माण १६वीं शताब्दी में रीवा राज्य की महारानी अजब कुंवरी ने कराया था। इस बावड़ी में राजस्थान-गुजरात के शिल्प शैली को देखा जा सकता है। माना जाता है कि महारानी उन्हीं इलाकों से विवाह के बाद रीवा आईं थी। इसलिए बावड़ी में वहीं का शिल्प कला का प्रयोग किया गया था। इसी ऐतिहासिक बावड़ी को शासन के जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत संरक्षित करने का प्रयास जारी है। 

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मुकेश एंगल ने बताया कि अज़ब कुंवरी बावड़ी का निर्माण इस तरह कराया गया था। जिससे इसके पानी को धूप से बचाया जा सके ताकि पानी का वाष्पीकरण न हो सके। उन्होंने बताया कि बावड़ी में कई लेयर देखी जा सकती हैं। 
 

जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर पालिक निगम रीवा, कन्या महाविद्यालय, राज्य आनंद संस्थान रीवा इकाई, रिएक्ट संस्था सहित अन्य संगठनो के संयुक्त तत्वावधान में रीवा में पुरातत्व एवं पर्यावरण की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण  अज़बकुंवरी बावड़ी की सफाई एवं जीर्णोद्वार कार्य का शुभारंभ किया गया। इस अभियान में क्षेत्रीय अधिकारी एसडी वाल्मीकि, जीडीसी प्राचार्य डॉ विभा श्रीवास्तव, वैज्ञानिक डॉ शुभी माथुर, समाजवैज्ञानिक डॉ रचना श्रीवास्तव, पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ मुकेश येंगल, सामाजिक कार्यकर्ता अंजुम बेनज़ीर, डॉ स्वाति शुक्ला एवं जीडीसी में स्पोर्ट्स ऑफिसर एवं एनसीसी प्रभारी डॉ शिल्पा शर्मा, केंद्र सरकार के क्षेत्रीय अधिकारी मुकेश मंडल, डॉ संजय मिश्रा, नगर निगम में आईईसी हेड विवेक परमार, अवनीश शुक्ला, अनीश सिंह, बघेल, प्राची खान, आयुष उपाध्याय, विजय पटेल ,निर्भय सिंह , प्रवीण सिंह तथा आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डॉ दीपक कुलश्रेष्ठ की उपस्थिति में सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने बावड़ी की सफाई करते हुए नगरवासियों से आहवान किया कि नगर की इस सुंदर संरचना को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए आगे आए।

 
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घर -घर चिड़ियों के घोसले लगाने का चलेगा अभियान
इतना ही नहीं सामाजिक कार्यकर्ता अंजुम बेनज़ीर एवं डॉ मुकेश येंगल के प्रयासों हर घर में चिड़ियों का घोंसला लगाकर उन्हें बचाने के लिए रीवा जिले में एक लाख घोंसले लगाए जाने का भी संकल्प लिया गया और घोंसलों की डिजाइन सार्वजनिक की गई। 

 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी इंजी एसडी बाल्मिक ने कहा कि मिशन लाइफ की अवधारणा के साथ सभी को कार्य करने की आवश्यकता है। जीडीसी की प्राचार्य डॉ विभा श्रीवास्तव ने अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि बावड़ी को देखने और इसके महत्व को महसूस करने की आवश्यकता है। डॉ मुकेश येंगल ने बावड़ी के इतिहास की जानकारी देते हुए जल संरक्षण एवं संवर्धन के महत्व को विस्तार से बताया।

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जीर्णोद्वार कार्य में कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल, नगर निगम कमिश्नर संस्कृति जैन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसडी बाल्मीक्, पर्यावरण, पुरातत्व विशेषज्ञ व रिएक्ट संस्था के अध्यक्ष डॉ मुकेश येंगल एवं नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने जीर्णोद्वार कार्य का नेतृत्व किया। कन्या महाविद्यालय की रुचि द्विवेदी, संध्या पटेल, आरती गुप्ता, आराध्या द्विवेदी, रीना दाहिया, पूर्णिमा साहू, रश्मि द्विवेदी, उत्सव  के विजय निगम, सामाजिक कार्यकर्ता रोशनी मैत्रेय, कुसुम सिंह, आशा सिंह, भोलेनाथ, बडी संख्या में एनसीसी कैडेट्स, रिएक्ट संस्था के सदस्य, जीडीसी की छात्राओं सहित सैकड़ो लोग शामिल रहे।

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