Rewa News: रीवा सहित प्रदेश के पांच पुराने मेडिकल कॉलेजों में लगाई जाएंगी पेट सीटी स्कैन, मिलेगी बड़ी सुविधा

कैंसर के इलाज में मिलेगी मदद, गरीबों को मुफ्त में मिलेगा लाभ  

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प्रदेश के पांच सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज में सरकार कैंसर के उपचार के लिए बड़ी सुविधा प्रदान करने जा रही है। जिसकी रूपरेखा तैयार हो चुकी है। जिसके तहत रीवा, भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में न्यूक्लियर मेडिसिन यूनिट बनाई जाएगी। इन मेडिकल कॉलेजों के संबंद्ध अस्पतालों में पेट यानी (पाजिट्रान इमीशन टोमोग्राफी) - सीटी स्कैन जैसी बड़ी सुविधा भी रहेगी। जिसके द्वारा कैंसर की गहन जांच भी संभव हो सकेगी। 

वर्तमान में प्रदेश के किसी भी सरकारी संस्थान में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि एम्स भोपाल में भी पेट सीटी स्कैन नहीं है। हालांकि प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में यह जांच हो रही है। जिनमें इलाज कराना काफी महंगा साबित होता है। ऐसे में गरीब तबका इलाज के बगैर ही जान देने के लिए मजबूर होता है। लेकिन अब सरकार ने यह सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे बड़ी राहत मिलने वाली है। 

इतना ही नहीं रीवा सहित प्रदेश के पांचों पुराने मेडिकल कॉलेजों में कैंसर की गांठ की सिकाई के लिए लीनियर एक्सीलरेटर (लीनैक) भी यहां पीपीपी मोड पर लगाने का काम चल रहा है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन यूनिट में पेट-सीटी स्कैन समेत सभी उपकरण सरकार खुद लगाएगी। 


बता दें कि निजी अस्पतालों में पेट-सीटी स्कैन की जांच 20 से लेकर 30 हजार रुपये तक में होती है। मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में यह सुविधा शुरू होने पर आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की जांच मुफ्त में हो सकेगी, वहीं अन्य मरीजों की जांच भी बाजार से कई गुना कम में जांच हो सकेगी


पेट सीटी स्कैन का उपयोग 
पेट-सीटी स्कैन का सबसे अधिक उपयोग यह पता करने में किया जाता है कि कैंसर शरीर में कहां-कहां फैल चुका है। इसी आधार पर उपचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस यूनिट में कैंसर की सिकाई के लिए त्रैकी थेरेपी मशीनें भी लगाई जाएंगी। कुछ विशेष तरह के कैंसर में इस मशीन से रेडियोथेरेपी देने पर अधिक लाभ होता है। इसमें रोगी को मरीज के संपर्क में लाकर सिकाई की जाती है, जबकि लीनैक में दूर से की जाती है।

निजी अस्पतालों में डेढ़ लाख तक आता है खर्च
लीनियर एक्सीलेरेटर से रेडियोथेरेपी देने में निजी अस्पतालों में 20 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक खर्च आता है। यह बीमारी की अवस्था पर निर्भर करता है कि मरीज को कितना और कितनी बार डोज देनी है। एक बार का खर्च करीब 20 हजार रुपये आता है। जिन अस्पतालों में पीपीपी से सुविधा शुरू की जा रही है वहां यह खर्च निजी अस्पतालों के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत तक ही आएगा।


जबलपुर स्थित स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट  और कैंसर टर्शरी केयर सेंटर ग्वालियर में सरकार खुद यह मशीन लगाएगी। लीनैक को स्थापित करने के पहले कुछ अस्पतालों में बंकर बनाने का काम भी शुरू हो गया है। इन मशीनों से विकिरण का खतरा होता है इसलिए इन्हें बंकर में रखा जाता है।