Rewa News: रीवा-सतना रेललाइन होगी जीपीएस सिस्टम से लैस,1 मिनट में मिलेगी खतरे की सूचना

रीवा रेलवे स्टेशन के दर्जनभर ट्रैकमैनों के हाथ में होगा जीपीएस सॉफ्टवेयर

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 रीवा। रीवा से सतना रेललाइन जीपीएस सिस्टम से लैस होगी। अब रेलवे ट्रैकमैन के हाथ में जीपीएस सॉफ्टवेयर होगा, जो सीधा स्टेशन मास्टर कंट्रोल रूम से जुड़ा होगा। फिर बाद में पॉइंटमैन को भी यह सुविधा दी जायेगी। रेलवे ट्रैक में कहीं भी खराबी होने पर ट्रैकमैन जीपीएस का लाल बटन दबायेगा और 1 मिनट के अंदर सूचना स्टेशन मास्टर को मिल जायेगी। ट्रैक खराबी की लोकेशन मिलने पर रेल कर्मचारी उसमें समय रहते मुधार कर पायेंगे।

पमरे का जीपीएस ट्रैकर ठीक ओला सॉफ्टवेयर की तरह ही काम करता है, जिसके जरिये मात्र 55 से 60 सेकंड में खतरे की सूचना एसएमएस से स्टेशन मास्टर तक पहुंचती है। ट्रैक पर जहां खतरा मिलता है, उसके आस-पास के ट्रैकमेन को खतरे का अलार्म मिलता हैं। मैसेज से सूचना ट्रैक पर आने वाली ट्रेन के ड्राइवर को तत्काल मिलने में आसानी होगी, जिससे वह त्वरित ट्रेन रोकने की कोशिश कर सकेगा।

गौरतलब है कि गर्मी के दिनों में रेल पटरी के चिटकने की आशंका बनी रहती है। इस वजह से पहले भी कई बड़ी रेल दुर्घटनाएं हुई हैं।  ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उच्च स्तर पर रेलवे बोर्ड की बैठक ही चुकी हैं। इन बैठकों में बोर्ड ने सुरक्षा संबंधी कई निर्देश जारी किए हैं। इसी बैठक में रेलवे ट्रैक की निगरानी के लिए जीपीएस सिस्टम ट्रैकमैन के हाथों में देने पर सहमति चनी है। रीवा स्टेशन में पदस्थ लगभग डेढ़ दर्जन ट्रैकमैन कर्मियों को जीपीएस सिस्टम चलाने की जानकारी दी गई है। ताकि गश्त करते समय वह सही ढंग से इसका उपयोग कर सके। यह फार्मला भी पमरे ने दी ईजाद किया है, जिसे अब बोर्ड हर जगह लागू कर रहा है।

अधिकारी करेंगे मुआयना
उच्चस्तरीय बैठकों में दुर्घटना का मुख्य कारण रेलवे ट्रैक की खराबी को माना गया। लिहाजा जीपीएस सिस्टम के माध्यम से सूचना मिलने पर ट्रैक की मरम्मत तो करना हो है। साथ में पूरी तरह खराब हो नके इसे रेलवे को बदलने के लिए भी कहा गया है। इस तरह फिलहाल बोर्ड ने वरिष्ठ रेल अधिकारियों को भी निरंतर ट्रैक की निगरानी करने के लिए कहा है। खासतौर से बरसात के दिनों में कहां ट्रैक में जलभराव की स्थिति बनती है, वहां सतत नजर रखने के लिए कहा गया है।