Rewa News: डीम्ड यूनीवर्सिटी बनने की राह देख रहा रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज, 6 साल पहले तत्कालीन सीएम ने की थी घोषणा

नियमों की ही नहीं हो सकती पूर्ति, अभी कई कमियां बरकरार 

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रीवा। शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय अभी तक डोम्ड विश्वविद्यालय नहीं बन सका। इस तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा साढ़े 6 वर्ष बाद भी हवा में ही रह गई। बताते हैं कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने ही अब जोईसी को डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने वालो फाइल डम्प कर दी है। तकनीकी कारणों से विभाग ने शासन को इस पहल को अंजाम तक नहीं पहुंचाया। वर्ष 2018 के चुनाव की तरह वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव भी निकल गए लेकिन जिम्मेदारों ने जीडीसी की तरफ पलट कर भी नहीं देखा।

गौरतलब है कि गत वर्ष 2017 में शासन की शह पर जिला प्रशासन ने जीईसी को 52 एकड़ से ज्यादा भूमि छीन ली। कुछ भूमि कॉलेज को बोर्ड ऑफ नवनेस (बीओजी) में पर जमीन हड़पने की जिला प्रशासन जब योजना बना रहा था, तब जीईसों प्रबंधन को थोड़ी-बहुत ही जानकारी रही। आखिर में जीईसी ने कुछ जमीन के बदल सामुदायिक भवन, 17 ई-टाइप के मकान और परिसर में रोड-बिजली के लिए व्यवस्था देने की शर्त रखी थी। जीईसी के इस प्रस्ताव पर भी अब तक जिला प्रशासन खरा नहीं उतरा। इसके उलट, जिला प्रशासन महज 4 ई-टाइप मकान बनाकर जीईसी को उपकृत करने के मूड में है।

तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री की अनुशंसा से तो कुछ जबरन जिला प्रशासन ने नोच ली। इसमें मुख्य रूप से जिला न्यायालय के नवीन भवन के लिए जीईसी की 19 एकड़ भूमि अधिग्रहित करना रहा। इस अधिग्रहण का विद्यार्थियों से लेकर अधिवक्ताओं तक ने जबरदस्त विरोध किया। आखिर में किसी तरह जिला प्रशासन ने विरोधी आवाजों को दबाया और मनचाही भूमि हड़प लो। इस विरोध को खत्म करने के लिए हो गत अप्रैल 2018 में विध्य महोत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री ने जीईसी को डीम्ड बनाने का लालीपॉप दिया था। 

नियमों की पूर्ति लेना ही कठिन कार्य
बताते हैं कि डीम्ड विश्वविद्यालय के नाम्मी की पूर्ति करने के लिए महाविद्यालय में शत-प्रतिशत नियमित शिक्षक होना आवश्यक है, जो वर्तमान समय में असम्भव लगता है। इसके अलावा, दो बार एनबीए से ए ग्रेड मिलना जैसे अन्य नियमों दे की पूर्ति भी डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए प्रस्तावित संस्थान को करनी होती है। इन नियमों की पूर्ति न होने पर जेईसी डीम्ड विश्वविद्यालय नहीं बन सकता। यही नहीं, प्रदेश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान को इस कारण ही डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा अब तक नहीं मिल सका।