Rewa News: रीवा में अवैध विज्ञापनों से नगर निगम को करोड़ों के राजस्व का नुकसान, अधिकारी-कर्मचारी नहीं दे रहे ध्यान

शहर कमिश्नर बदलते ही आउटडोर विज्ञापनों के विरुद्ध ठंडी पड़ी कार्यवाही, सरकारी इमारतों में भी अवैध विज्ञापन, अवैध रूप से ई-रिक्शों से हो रहा प्रचार

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रीवा। तेजी से बढ़ रहे रीवा शहर मेें नगर पालिक निगम के आला अधिकारियों की उदासीनता और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते अवैध विज्ञापनों से प्रतिमाह लाखों रुपये राजस्व का फटका लग रहा है। लिहाजा केवल अवैध विज्ञापनों से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान नगर पालिक निगम को हो रहा है।

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शहर कमिश्नर बदलते ही ठंडी पड़ी कार्यवाही 
ज्ञात हो कि नगरीय निकायों में मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 17 सक्रिय होने के बाद नगर निगम को इससे करोड़ों रुपये की आय होने की उम्मीद थी लेकिन उक्त नियम के तहत कुछ माह पूर्व तत्कालीन शहर कमिश्नर संस्कृति जैन द्वारा जोर-शोर से कार्यवाही प्रारंभ तो की गई लेकिन उनके जाते ही इसकी फाइल ठंडे बस्ते मेें डाल दी गई। नगर निगम द्वारा निजी संस्थानों को नोटिस दिये गये और मिलते ही निजी संस्थानों ने भी न केवल दीवारों पर लिखे गये विज्ञापनों को पोतवाना प्रारंभ कर दिया बल्कि निर्धारित शुल्क जमा कर पंजीयन भी कराना शुरू कर दिया। इसके बावजूद नए कमिश्नर सौरभ सोनवणें के प्रभार लेने के साथ ही अचानक यह कार्यवाही बंद कर दी गई। 

 

 

900 से ज्यादा कटी थीं नोटिस 
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 17 का पालन नहीं करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर नगर निगम प्रशासन द्वारा कुछ माह पूर्व प्रारंभिक सख्ती की गई। इसके लिए 900 से अधिक निजी संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किया गया। नगर निगम द्वारा इन संस्थानों को न केवल नोटिस जारी किया गया बल्कि उन पर जुर्माना भी अधिरोपित किया गया। 

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ऐसे हुई थी सख्ती 
बता दें कि मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम के तहत प्रतिष्ठानों के सामने शासकीय भूमि पर विज्ञापन प्रदर्शित करना पूर्णत: प्रतिबंधित है। इस तरह के विज्ञापन नियम के अंतर्गत यातायात बाधित करने की श्रेणी में आते हैं। वहीं निजी प्रापर्टी पर भी बकायदा अनुमति, एनओसी लेकर निर्धारित मापदंडों का पालन करते हुए शुल्क जमा कर ही विज्ञापन किया जा सकता है। मध्य प्रदेश आउटडोर मीडिया के संबंध में नगर निगम द्वारा जारी नोटिस मिलने के बाद शहर के निजी शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा तत्कालीन निगमायुक्त से इस नियम  के बारे अनभिज्ञता जाहिर करते हुए इसमे सुधार के लिए समय मांगा गया। इस पर निगमायुक्त द्वारा स्प्ष्ट किया गया कि पंजीयन सभी को कराना होगा। उनके द्वारा एक सप्ताह का समय भी दिया गया।

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अवैध विज्ञापनकर्ता थे सांसत में  
 नगर निगम द्वारा की गई उस समय की सख्ती का असर शहर के निजी संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों पर व्यापक हुआ। शहर के तमाम सस्थानों एवं प्रतिष्ठानों द्वारा पंजीयन भी कराया जाने लगा। 50-60 लोगों ने दीवारों पर लिखे गये विज्ञापनों को पोतवा कर नोटिस निरस्त करने का आवेदन दे दिया। इतना ही नहीं कुछ संस्थानों द्वारा 11 हजार रुपये जमा कर तीन साल के लिए पंजीयन भी करा लिया। लेकिन अचानक यह कार्यवाही ठंडे बस्ते में डाल दी गई। नगर निगम क्षेत्र में इस तरह के संस्थानों की संख्या हजारों में है और शहर के सभी संस्थानों द्वारा पंजीयन कराने के बाद नगर निगम को करोड़ों रुपये की आय हो सकती है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक नगर निगम के कुछ कर्मचारियों द्वारा अपनी जेबें गर्म करने के चक्कर में शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व से वंचित कर दिया गया।
 

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सारे शहर में अवैध विज्ञापन की बाढ़
नगर निगम की हीलाहवाली के चलते सारा शहर अवैध विज्ञापनों से पटा पड़ा है। व्यवसायिक संस्थानों मे सरकारी सम्पत्तियों पर भी दीवार लेखन, पोस्टर के जरिये अपना प्रचार कर रखा है। हजारों दुकानों में निर्धारित आकार से बड़े साइन बोर्ड लगे हुए हैं। सरकारी इमारतों पर अवैध प्रचार का एक बड़ा नमूना सिरमौर चौक स्थित यातायात चौकी है जो पूरी तरह अवैध विज्ञापनों से पटी हुई है। वहीं शहर में बगैर अनुमति दर्जनों ई-रिक्शे प्रचार करते घूम रहे हैं। ताजुब तो यह है कि तकरीबन आधा सैकड़ा नगर निगम कर्मचारी सारा दिन शहर में घूमते रहते हैं और उनकी नजर प्रचार कार्य में लगे इन अवैध ई-रिक्शों पर नहीं पड़ रही है। 

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