Rewa News: तेजी से बढ़ते रीवा रेलवे स्टेशन में आज तक नहीं शुरू हो सकी एटीएम सुविधा, यात्रियों को होती है दिक्कत

रेलवे की उदासीनता मुसाफिरों पर पड़ रही भारी

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रीवा रेलवे स्टेशन यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई कार्य निर्माणाधीन है। स्टेशन परिसर को विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक टे्रन यहां से रवाना होती हैं। लेकिन आज तक रेलवे स्टेशन में एटीएम की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। जबकि यात्रियो के द्वारा लगातार इसकी मांग की जाती रही है।

एटीएम मशीन के चालू न हो पाने की वजह से मुसाफिरों को अक्सर पैसों की कमी होने के दौरान रेलवे तिराहे की तरफ जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। क्योंकि जबलपुर रेल मंडल के रीवा रेलवे स्टेशन में अभी तक एक भी एटीएम मशीन विधिवत संचालित नहीं कर पाई है। जबकि मैहर, सतना, कटनी और जबलपुर जैसे स्टेशनों में एक से ज्यादा एटीएम मशीनें लम्बे समय से संचालित हो रही हैं।

यात्रा टिकट लेने के लिए स्टेशन आने वाले मुसाफिरों के पास जब पैसों की कमी होती है तो वे टिकट काउंटर के सामने खड़े होकर या तो अपने किसी अन्य परिचित को फोन लगाकर पेटीएम या माध्यम से खाता में पैसा डालने की गुहार लगाते हैं या फिर किसी को फोन करते हुए नकद पैसा पहुंचाने की बात कहते हैं। स इतना ही नहीं कई बार स्टेशन पहुंचे मुसाफिरों को ऑटो या निजी वाहनों से रेलवे तिराहे से लेकर ढेकहा तक एटीएम खोजने के लिए भटकना पड़ता है।

जबलपुर रेल मण्डल के स्थानीय रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से जुड़ी सुविधाओं को विधिवत तरीके से लागू करने के मामले में अक्सर जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर होती है। शायद यही वजह है कि कई सालों के इंतजार के बाद स्थानीय रीवा स्टेशन परिसर को एक एटीएम मशीन नसीब हुई थी। लेकिन कई साल गुजर जाने के बाद भी इस मशीन को इंस्टाल नहीं किया जा सका।


 
 शोपीस बनी रही एटीएम मशीन 
जबलपुर रेल मंडल द्वारा पिछले दिनों बैंक से एग्रीमेंट किया और इसके बाद एक मशीन भी रीवा रेलवे स्टेशन पर भेजी गई। एटीएम मशीन संचालित करने का आदेश जारी कर दिय। लम्बे समय से स्टेशन पहुंची मशीन पॉलीथिन में ढंकी रही। स्थानीय लोगों की शिकायत पर कई बार बैंक कर्मचारी एटीएम मशीन को देखने के लिए वहां पर आए जरूर हैं लेकिन वे मशीन को व्यवस्थित नहीं कर पाए हैं। जब मशीन को स्टेशन पर लाया गया था। उसके बाद से टिकट काउंटर के सामने मौजूद एटीएम मशीन शोपीस बनकर रह गई थी।


किस बात का था टेंडर 
 ऐसी स्थिति में जबलपुर रेल मंडल ने बैंक से किया गया अनुबंध समाप्त क्यों नहीं किया। इसके साथ ही लोगों को राहत देने के लिए किसी दूसरे बैंक को एटीएम स्टेशन पर स्थापित करने के लिए आमंत्रण क्यों नहीं दिया गया। जबकि बढ़ती यात्री संख्या के बीच एटीएम की जरूरत महसूस की जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि जब एटीएम मशीन स्थापित नहीं हो पाई तो टेंडर किस बात का था।