Rewa News: होली के दिन रीवा के 223 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर में होगा आटिका महाप्रसाद का वितरण

कई दशकों पुरानी परंपरा, इस महाप्रसाद का है पौराणिक महत्व 

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विंध्य क्षेत्र में होली के त्योहार का विशेष महत्व है। होली के दिन जहां एक ओर भाग की धूम रहती है वहीं  रीवा स्थित श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर  में आटिका महा प्रसाद लेने के लिए भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ते हैं। इस वर्ष भी होली के दिन आटिका महाप्रसाद की तैयारियां जारी हैं। जिसके लिएश्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के साथ-साथ प्रशासन ने भी कमर कस ली है। 


जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ, होली के दिन विंध्य धरा में चरितार्थ होती है। आटिका प्रसाद का अत्यंत महत्व है। बता दें कि रीवा राज्य के पुरातन मंदिर श्री जगन्नाथ मंदिर में आटिका पर्व के दौरान आटिका प्रसाद चढ़ाने और कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण करने के लिए न केवल रीवा बल्कि सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना तक के हजारों श्रृद्धालु यहां पहुंचते हैं। 

यह है पौराणिक मान्यता  
जानकारों के द्वारा बताया गया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है उनके भात को लेकर सदियों से जाति पंथ का भेदभाव समाप्त हुआ। उनके प्रसाद के रूप में मानव में एकांकी भाव का प्रकटीकरण होता है और सामाजिक समरसता और भाई चारा को बढ़ावा मिलता है।

 बता दें कि बिछिया स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बीते ५७ सालों से यह आटिका महाप्रसाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें श्रद्वालुओं को प्रसाद के रूप में कढ़ी-चावल का वितरण होता है। वहीं यह मंदिर काफी मान्यताओं वाला है। जहां पूजा-अर्चना की परंपरा रीवा राज घराने के द्वारा शुरू की गई थी। मंदिर का निर्माण कार्य रीवा महाराजा रघुराज सिंह ने शुरू किया था। जिसे कालांतर में तत्कालीन रीवा महाराजा व्यंकट सिंह ने पूरा करवाया था। मान्यता के मुताबिक मंदिर 223 वर्षों पुराना है।