Indian Railway: ट्रेनों को रफ्तार देने रेलवे ने किया अनोखा प्रयोग, ट्रैक पर लगाए जा रहे आटोमैटिक सिग्नल

ट्रेनों को आउटर पर खड़ी करने की समस्या भी हो जाएगी दूर 

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ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए रेलवे अब ट्रैक पर आटोमैटिक सिग्नल लगा रहा है। आटोमैटिक सिग्नल के लगने से पटरियों पर ट्रेनों की संख्या के साथ ही रफ्तार भी बढ़ जाएगी। वर्तमान में 15 किमी की दूरी के बीच एक ट्रेन चलती है, लेकिन अब इतनी दूरी के बीच चार-पांच ट्रेनें एक साथ चल सकेंगी। ट्रेनों को आउटर पर खड़ी करने की समस्या भी दूर हो जाएगी। इससे यात्रियों का समय बचेगा। यदि किसी कारण सिग्नल में खराची आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को इसकी सूचना भी तत्काल मिलेगी।

वर्तमान में चीना-खंडवा खंड में आटोमैटिक सिग्नल लगाने की प्लानिंग है। इससे भोपाल से बीना और खंडवा की ओर जाने वाली ट्रेनों को फायदा होगा। भोपाल- स्टारसी के दो खंड अब्दुल्लागंज-बरखेड़ा और बुधनी-इटारसी के बीच आटो सिग्नल गए हैं। अब्दुल्लागंज बरखेड़ा के बीच नौ सिग्लन और बुधनी इटारसी के बीच 17 आटोमैटिक सिग्नल लगाए गए हैं, जिससे एक ट्रैक पर चार से पांच ट्रेनों को चलाया जा रहा है।

 ट्रेनों की संख्या बढ़ने से लग रहा नया सिस्टम
भोपाल-इटारसी ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन सबसे ज्यादा हो रहा है। इस रूट पर भोपाल, रानी कमलापति मुख्य स्टेशन हैं। यहां से उप, बिहार, मुंबई, राजस्थान, दिल्ली समेत चारों दिशाओं के लिए ट्रेनों का आवागमन होता है। इसके साथ ही इस ट्रैक पर चंदे भारत, राजधानी जैसी ट्रेनें भी चल रही है। ट्रेनों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ही नया सिस्टम लगाया जा रहा है। रेलवे के अनुसार प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन के रवाना होने के बाद दूसरी ट्रेन को चलाया जाता है। इस बीच करीब 15 मिनट का अंतर आता है, लेकिन आटोमेटिक सिग्नल लग जाने के बाद यह समय घटकर सात से आठ मिनट हो जाएगा। अब एक सिग्नल के पार करते ही दूसरी ट्रेन को पीछे से साना किसा जाय। इसमे टेलों के लेटोले के मामले भी कम होंगे। 

हादसों से बचने के लिए बनाई जा रही दीवार 
 हादसों से बचने के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों ओर दीवार बना रहा है। ट्रैक पर अचानक ट्रेन के सामने जानवर आ जाने से इसके अलावा ट्रेनों में पत्थर मारने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। साथ ही लोग, खासकर युवा भी ट्रैक पर वीडियो बनाते हैं। इससे हर समय रेल हादसे का डर बना रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए पश्चिम-मध्य रेलवे भोपाल से विदिशा के बीच ट्रैक के दोनों ओर दीवार बना रहा है। इससे हादसे भी कम होंगे, साथ ही ट्रेनें भी सुरक्षित रहेंगी। 

भोपाल मंडल के तीन खंड में ट्रैक के दोनों ओर दीवार बनाई जा रही है। इसमें भोपाल से बीना, भोपाल से इटारसी और इटारसी से खंडवा के बीच 180 किलोमीटर की कुल दीवार तैयार की जाएगी। अब तक 120 किलोमीटर की दीवार बनाई जा चुकी है।

 
जानवरों की हो सकेगी सुरक्षा 
अक्सर जानवर बाधक बनकर रेल पटरी के बीच आ जाते हैं। 5 ऐसी ट्रेनों से टकराकर जानवर मर जाते हैं, जिस कारण ट्रेनों की म रफ्तार बाधित होती है। शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली से भोपाल के बीच 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ती है। कई बार ट्रेनों रा के इंजन में जानवर फंस जाते हैं, जिन्हें निकालने के लिए एक व एक घंटे ट्रेन ट्रैक पर ही खड़ी रहती है। इससे ट्रेनें लेट हो जातीय हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए ए रेलवे ट्रैक के किनारे दीवार ि खड़ी की जा रही है। वन्यप्राणियों के साथ रेलवे ट्रैक के किनारे में बसे गांवों के जानवर भी अवसर रेल ट्रैक पर आ जाते हैं। ऐसे ल में हादसा होने पर लोको पायलट को स्वयं ट्रैक क्लियर करना देक पड़ता है। इससे ट्रेनें काफी लेट हो जाती हैं।