Rewa News: रीवा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में आएंगे 40 लाख रुपए के नए उपकरण, डीएमई ने दिए आदेश

ईएनटी डिपार्टमेंट में लगाई जाएगी रीवा संभाग की पहली विकलांगता जांच मशीन 

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रीवा। डीएमई डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव गत दिवस रीवा पहुंचे। यहां मेडिकल कॉलेज में कार्यकारिणी की बैठक ली। इसमें विभिन्न विभागों से आए प्रस्तावों पर चर्चा की गई और उन्हें स्वीकृत किया गया। डॉ. श्रीवास्तव ने सहायक प्राध्यापक, ट््यूटर, प्रदर्शक और चिकित्सा अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए। इसके साथ ही ब्लड बैंक में 40 लाख रुपए मूल्य के उपकरण उपलब्ध कराने का आदेश दिया, जिसमें दो डीप फ्रीजर भी शामिल हैं। 


नाक, कान, गला रोग विभाग में विकलांगता जांच मशीन लगाने के निर्देश भी दिए गए, जिसकी कीमत 15 लाख रुपए है और यह मशीन संभाग में पहली बार लगाई जाएगी। हॉस्टल में छात्रों द्वारा बताई गई गीजर, आरो और टीवी की समस्या को भी हल करने की स्वीकृति दी गई। बैठक में डीन डॉ. सुनील अग्रवाल, अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा, मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. मनोज इंदुलकर सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।


अस्पताल की व्यवस्थाओं की जानकारी ली
 डीएमई ने अस्पताल का निरीक्षण किया और विभिन्न विभागों की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने बच्चा वार्ड, बर्न यूनिट सहित अन्य विभागों का दौरा किया और स्टाफ से मरीजों के इलाज में आने वाली समस्याओं पर चर्चा की। बच्चा वार्ड में कुछ संसाधनों की कमी की जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत प्रस्ताव मांगे हैं।


पीजी की सीट बढ़ाने का प्रस्ताव मांगा
बैठक में डॉ. श्रीवास्तव ने चिकित्सकों से ओपीडी और वार्डों में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने की बात की, साथ ही अनुपस्थिति की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने अस्पताल में मरीजों का इलाज संवेदनशीलता के साथ करने की आवश्यकता पर बल दिया और शैक्षणिक गतिविधियों में गुणवड्डाा बनाए रखने की बात कही। इसके अलावा, पीजीएफ ग्रेडियेशन के लिए भारत सरकार के पोर्टल को खोलने की जानकारी दी और पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा।


चिकित्सकों के शोध पर दिया जोर
बैठक में डीएमई ने चिकित्सकों से शोध करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रीवा में आने वाले मरीजों और उनकी प्रमुख बीमारियों का पता लगाने के लिए चिकित्सक शोध करें। इससे भविष्य में इलाज की प्राथमिकता निर्धारित करने में मदद मिलेगी और बीमारियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।


इन नवाचारों को स्वीकृति
बच्चा वार्ड में एक प्रोफेसर यूनिट का निर्माण होगा। इससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। बर्न यूनिट में स्किन बैंक खोलने का प्रस्ताव है। इसमें स्किन दान कर जमा की जाएगी। वार्ड में जो 70 फीसदी जलकर आते हैं उनको नया जीवन देने में यह बैंक काफी कारगर होगा।


अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चों के लिए झूलाघर परिसर में बनवाने का आदेश दिया है, ताकि ड्यूटी के दौरान बच्चे वहां सुरक्षित रहें। इनमें केयर टेकर भी होगा, जो ड्यूटी समय उनके बच्चों की देखभाल करेगा। मानसिक रोग विभाग में लावारिस घूमने वाले विक्षिप्तों के इलाज के लिए अलग वार्ड बनवाने का आदेश दिया है। इसमें नर्सिंग ऑफिसर, चिकित्सक, वार्ड ब्वाय, स्वीपर की नियुक्ति की जाएगी। ऐसे विक्षिप्त जिनके पास कोई अटेंडर नहीं होता, ये उनकी देखभाल करेंंगे।