Rewa News: रीवा में युवती के पेट से निकली 13.5 किलो की गांठ, आयुष्मान कार्ड से जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क हुई सर्जरी
असहनीय पेट दर्द की शिकायत पर चेकअप में गांठ होने का चला पता, प्राइवेट हॉस्पिटल में बताया था लाखों रुपए का खर्च
रीवा। जिले के रायपुर कर्चुलियान निवासी मोतीलाल कुशवाहा की 21 वर्षीय पुत्री एकता कुशवाहा को अक्सर पेट दर्द की शिकायत रहती थी। दर्द असहनीय होने पर उन्होंने चिकित्सालय में जांच कराई, जहां पेट में गांठ होने का पता चला।
श्री कुशवाहा ने एक अन्य निजी चिकित्सालय में भी उपचार के लिए चर्चा की तो निजी चिकित्सालय के प्रबंधन द्वारा शल्य क्रिया का व्यय लाखों रुपए में बताया गया। आर्थिक रूप से सक्षम न होने के कारण मोतीलाल कुशवाहा ने अपनी बेटी को जिला चिकित्सालय के शल्य क्रिया विभाग में दिखाया। जिला चिकित्सालय रीवा में शल्य क्रिया विशेषज्ञ डॉ आलोक सिंह दुबे ने महिला की जांच की तो यह गांठ बेहद बड़ी पाई गई।
दो घंटे चला ऑपरेशन
मरीज को विगत 13 अगस्त को जिला चिकित्सालय रीवा में भर्ती किया गया जहां मरीज का आयुष्मान कार्ड बनवा कर मरीज का सिटी स्कैन एवम कैंसर संबंधित जांचे करवाई गई। सभी पैरामीटर सामान्य करने के बाद डॉ. आलोक ने सर्जरी का बीड़ा उठाया। यहां डॉ आलोक सिंह दुबे सर्जरी विशेषज्ञ, डॉ. प्रतिभा मिश्रा स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ. प्रवेश आर्या शल्य क्रिया विशेषज्ञ , डॉ रूपा, निश्चेतना विभाग से डॉ राधा सिंह, डॉ निष्ठा शर्मा एवम डॉ प्रियंका मिश्रा की टीम के द्वारा नर्सिंग ऑफिसर रेणुका ,भुरू भवर के सहयोग से लगभग दो घंटे चले ऑपरेशन के बाद महिला के पेट से यह रेयर सिस्ट निकाला।
13.5 किलोग्राम की गांठ
शल्य क्रिया में 30 गुना, 20 गुना व 15 गुना की 13.5 किलोग्राम की गांठ निकाली गई। डॉ. आलोक ने बताया कि महिला के पेट में एक साल से धीरे धीरे बढ़ते हुए फेफड़ों को दबाने लगी जिससे अब सांस लेने में भी मरीज परेशानी बताने लगी थी। इसके लिए टीम ने दो घंटे मैनेज निकाला। गांठ की वजह से महिला के पेट में कंप्रेशन हो रहा था।उसे खाना नहीं पच रहा था। महिला और उसके पिता ने बताया की प्राइवेट में उनसे एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च बताया जा रहा था। लेकिन जिला अस्पताल में यह ऑपरेशन निशुल्क आयुष्मान योजना से हो गया। अब वह स्वस्थ महसूस कर रही है।
डिंब ग्रंथि का ट्यूमर
वरिष्ठ सर्जिकल स्पेशलिस्ट डॉक्टर आलोक सिंह दुबे और महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रतिभा मिश्रा ने बताया की इतना बड़ा सिस्ट होना रेयर मामलों में आता है। हालाकि उन्होंने एक बार 12 किलो का भी सिस्ट निकाला है। यह लाखों में करीब 10 लोगों में हो सकता है। यह डिंब ग्रंथि का ट्यूमर होता है। इतना बड़ा सिस्ट लाखों मामलों में कुछ ही लोगों में देखने को मिलता है। लगभग दो घंटे चले ऑपरेशन के बाद महिला अब स्वस्थ है।
पानी भरने पर हो जाता है बड़ा
यह छोटा होने के कारण समझ नही आता लेकिन जैसे जैसे इसमें पानी भरता जाता है। यह बड़ा होता जाता है। हालाकि इससे कोई खतरे जैसी स्थिति नही रहती। लेकिन यह पेट के अन्य अंगों पर दबाव डालता है। कई बार पीड़ित इसे गर्भधारण भी मान लेते है।
वृहद रूप ले रहा जिला चिकित्सालय
ज्ञात हो वर्तमान में जिला अस्पताल में 1.5 करोड़ की 3 मॉड्यूलर ओटी के लिए शासन स्तर पर कवायद जारी है। वहीं रीवा जिला चिकित्सालय में मॉड्यूलर ओपीडी तथा 100 बिस्तर के भवन का कार्य पूर्णता की ओर है, जिसके बाद सिर्फ रीवा ही नहीं बल्कि समूचे विंध्य की जनता के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा हो जाएगा।