Narayan tripathi To Pm Modi: नारायण त्रिपाठी ने PM मोदी से की खड़ाऊं को नए संसद में स्थापित करने की मांग

कहा- भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण का इससे बेहतर प्रत्येक अन्य कोई नहीं

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अपने बयानों और राजनैतिक क्रियाकलापों को लेकर हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा है जो अब सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है दरअसल नारायण त्रिपाठी ने नवनिर्मित संसद भवन में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में श्री राम चरण पादुका यानी की खड़ाऊ की स्थापना का अनुरोध किया है।


प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खत में विधायक नारायण त्रिपाठी ने लिखा है कि अत्यंत हर्ष का विषय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत देश का नवीन संसद भवन आपके द्वारा 28 मई 2023 को उद्घाटित किया जा रहा है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और भारत सरकार के मध्य सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक जो कि 2600 वर्ष पूर्व के चोल राजवंश के राजदंड सेंगोल को स्थापित करने की योजना स्वागत योग्य है।

भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति से लेकर भारतीय संविधान तक समूचे भारतवर्ष 75100 वर्ष पूर्व के राम राज्य की स्थापना हेतु प्रतिबद्ध एवं संकल्पित है तपो भूमि विंध्य प्रदेश का चित्रकूट क्षेत्र राम भरत मिलाप का प्रामाणिक स्थल होने के साथ-साथ राम राज्य की प्रथम संकल्पना की जननी है इस स्थान पर सर्वप्रथम भ्राता भरत जीने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम से राम राज्य की स्थापना हेतु सत्ता हस्तांतरण करना चाहा था जिसके परिणाम स्वरूप प्रभु राम जी ने गुरुजनों की सहमति पर स्वयं अपनी चरण पादुका यानी खड़ाऊ प्रतीक स्वरूप भरत जी को प्रदान कर औपचारिक रूप से राम राज्य की स्थापना प्रारंभ की थी। अतः भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण का इससे बेहतर प्रतीक अन्य कोई नहीं है।


भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई तक ने देश में रामराज्य की परिकल्पना साकार करने का स्वप्न देखा था अतः राम राज्य की सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक राम चरण पादुका खड़ाऊ को नवीन संसद भवन परिसर में स्थापित किए जाने का निवेदन है यदि ऐसा किया जाना संभव हो तो यह पारदर्शी, समदर्शी, निष्पक्ष रामराज्य की सनातन धर्मी विचारधारा का वास्तविक सम्मान होगा और जिन विकृत मानसिकता के नेताओं ने खड़ाऊ सत्ता को नकारात्मक और कहीं अन्य से संचालित होने वाली मान रखा है उनको भी सबक मिल सकेगा। अतः भारत के सत्ता केंद्र में राम राज्य का प्रतीक चिन्ह स्थापित किया जाना आवश्यक है और यह समय की मांग भी है।