MP News: एमपी का सुखसागर मेडिकल कालेज रुपए देकर मरीजों को करा रहा भर्ती

फीस कमेटी की आपत्ति के बाद एमबीबीएस में करा दिए प्रवेश

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भोपाल। प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति ने यह अनुशंसा की थी कि सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर को मान्यता प्रदान नहीं की जाए। इसके बावजूद सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर को नेशनल मेडिकल कमीशन ने मौजूदा सत्र के लिए मान्यता प्रदान कर दी। फीस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा था कि मेडिकल कालेज में रुपए देकर मरीजों को भर्ती कराया गया है।


रिटायर्ड डॉक्टरों को फैकल्टी बनाकर रखा जा रहा है, उनकी संख्या भी बहुत कम है। फीस कमेटी को सुख सागर मेडिकल कालेज के संबंध में काफी शिकायतें मिल रही थीं। तब फीस कमेटी ने शिकायतों के तथ्यों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने सुखसागर मेडिकल कॉलेज में देखा कि वहां पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भारी कमी है। 


कालेज द्वारा जांच कमेटी को फैकल्टी के वेतन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गए। अधिकांश शिक्षक सेवानिवृत्त डॉक्टर्स पाए गए थे। यानी सेवानिवृत्त डाटर्स को फैकल्टी के स्थान पर नियुक्त किया गया था। उन्हीं के जरिए विद्यार्थियों को एमबीबीएस की पढ़ाई कराई जा रही है। 


जांच वाले दिन कॉलेज से संबंधित अस्पताल में फर्जी मरीजों को लाया गया था। किसी भी प्रकार के वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। प्रोफेसर के स्थान पर बायोमेट्रिक अटेंडेंस की सूची उपलब्ध कराई गई है, जिसमें पदनाम का विवरण नहीं दिया गया है। 


सूची से स्पष्ट नहीं हो रहा है कि उक्त व्यक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर हैं अथवा कालेज में स्टाफ या कोई कर्मचारी हैं। कमेटी को मांगने पर कॉलेज द्वारा वेतन पत्रक नहीं दिया गया। वेतन को बैंक में जमा करने संबंधी दस्तावेज भी नहीं दिए गए। कॉलेज के सत्र 2020-21 बैच के 40 प्रतिशत विद्यार्थी अनुत्तीर्ण पाए गए।


कॉलेज प्रबंधन ने जांच में नहीं किया था सहयोग
फीस कमेटी ने जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिवेदन के आधार पर नेशनल मेडिकल कमीशन को अनुशंसा पत्र भेज दिया गया कि सत्र 2024-25 में सुख सागर मेडिकल कालेज को एमबीबीएस और अन्य मेडिकल कोर्स को संचालित करने की मंजूरी नहीं दी जाए। इसके बावजूद कमीशन ने सुख सागर मेडिकल को सत्र 2024-25 की सीटों पर प्रवेश कराने की मंजूरी प्रदान कर दी।


 मंजूरी मिलने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सुख सागर मेडिकल कॉलेज को ऑनलाइन काउंसलिंग में शामिल कर उनकी सभी सीटों पर प्रवेश करा दिया। यह स्थिति तब है, जब फीस कमेटी ने अपनी अनुशंसा में कहा कि जांच समिति द्वारा दौरा करने पर कालेज प्रबंधन ने सहयोग नहीं किया। मांगे जाने पर आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। अस्पताल में चिकित्सा के लिए आवश्यक स्टाफ, प्रयोगशाला, उपकरण संबंधी कमियां पाई गई हैं।


फर्जी तरीके से संचालन पर प्रतिबंध लगाना था
मरीजों से बातचीत करने पर पता चला कि गांव से फर्जी मरीज लाए गए थे। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि हमको यहां आने के लिये खाना-पीना और पैसे दिया गया है। उसके बाद सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर को सत्र 2024-25 की मान्यता नहीं प्रदान करने की अनुशंसा की थी। मकसद यह था कि फर्जी तरीके से संचालन पर प्रतिबंध लगाना था।


इनका कहना है-
फीस कमेटी के समक्ष सुखसागर मेडिकल कालेज की काफी शिकायतें आई थीं। इसके आधार पर जांच कमेटी गठित की गई थी। कमेटी के जांच प्रतिवेदन के आधार पर नेशनल मेडिकल कमीशन को सुखसागर मेडिकल कॉलेज को सत्र 2024-25 प्रवेश की अनुमति नहीं देने की अनुशंसा की गई थी।
- रविंद्र रामचंद्र कान्हेरे, अध्यक्ष, प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति