Shri Rambhadracharya: जो कर्तव्य मिला है उसे निष्ठापूर्वक करना चाहिए, यही हमारा धर्म है: श्री रामभद्राचार्य
सतना जिले के श्रीमानसपीठ खजुरी ताल में शताब्दी महोत्सव की बह रही भक्ति रस धारा

सतना जिले के श्रीमानसपीठ खजुरीताल चल रहे शताब्दी महोत्सव पर द्वितीय दिवस की श्रीराम कथा के दौरान पद्मविभूषण जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने कहा की धर्म सनातन है वो कोई मुस्लिम हिंदू नहीं है। धर्म क्यों सनातन धर्म है और धर्म का अर्थ क्या होता है?
धर्म मतलब कर्तव्य जो करना चाहिए, वहीं जो नहीं करना चाहिए वही अधर्म है। अंग्रेजी में should लग जाए वह धर्म है और जहां should not लग जाए तो अधर्म है।
रामभद्राचार्य ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को कर्तव्य का पालन करना ही चाहिए चाहे वह कर्तव्य उसे राष्ट्र से मिला हो,चाहे उसे समाज से मिला हो,चाहे उसे परिवार से मिला हो,चाहे उसे अपने संप्रदाय से मिला हो,चाहे उसे अपने शरीर के संबंधों से मिला हो, जो भी कर्तव्य मिला है उसे निष्ठा पूर्वक करना चाहिए यही हमारा धर्म है और यही धर्मनिरपेक्ष होता है।
भगवान श्रीराम को धर्म पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि जन्म के पश्चात उन्हें जो कर्तव्य मिला उन्होंने उसका निष्ठापूर्वक निर्वहन किया।
इस दौरान वशिष्ठ पीठाधीश्वर डाॅ. रामविलास बेदांती महराज,कार्यक्रम के आयोजक श्रीमानसपीठ खजुरीताल के पीठाधीश्वर जगद्गुरू श्रीरामललाचार्य महराज मंचासीन रहे। श्रीराम कथा में मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह,प्रभाकर सिंह रामपुर,महंत देवेश दास जी महाराज अयोध्या,वरुण दास जी महाराज अयोध्या एवं अनेक संत जन एवं राजनैतिक जन उपस्थित रहे।
वहीं कार्यक्रम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भी कथा श्रवण करने पहुंचे और महराजश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान कथाव्यास श्रीरामभद्राचार्य जी ने अपने अंदाज में अजय सिंह राहुल से कहा कि केवल माल्यार्पण से काम नहीं चलेगा। माल्यार्पण भी कीजिए और नोटार्पण भी कीजिए।
कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी पं. सचिन शर्मा सूर्या ने बताया कि प्रतिदिन सुबह हवन पूजन,सायं श्रीराम कथा के पश्चात रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होता है।