Satna News: गणेश सिंह ने लिया विस चुनाव की हार का बदला, सिद्धार्थ कुशवाहा को 84 हजार से हराया

इसके साथ ही पांचवीं बार सांसद बने गणेश सिंह, अपने राजनैतिक अनुभवों का लिया लाभ 

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भाजपा के गणेश सिंह ५वीं बार सांसद चुने गए। इसके साथ ही चार महीने पहले विधानसभा में मिली हार का उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा से बदला भी ले लिया।  सतना लोकसभा सीट पर ईवीएम के मतों की गिनती पूरी हो चुकी है जिसके आधार पर भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा को 84 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया। सतना सीट पर लगातार यह उनकी पांचवीं जीत है। अब जीत के अंतर में डाकमत पत्रों की संख्या जुड़ने के बाद और इजाफा भी होगा।

फिलहाल भाजपा के गणेश सिंह को कुल 458197 मत प्राप्त हुए। जबकि कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा को 373748 वोट मिले जबकि बसपा के प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी केा 185292 वोटों से संतोष करना पड़ा।


विधानसभा में मिली थी करारी हार 
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में चार बार के सांसद गणेश सिंह  सतना विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे। लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा से हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा था कि शहरी सीट में गणेश सिंह को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा। जिससे उनको कड़े मुकाबले में लगभग 4000 से अधिक वोट से हार मिली। जिसके बाद कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में गणेश सिंह को टिकट नहीं मिलेगी। लेकिन गणेश सिंह एक बार फिर टिकट लाकर अपनी राजनैतिक क्षमताओं का परिचय कराया। 

नारायण ने बनाया चुनाव को दिलचस्प
वहीं कांग्रेस ने अपने विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया। कांग्रेसियों को लग रहा था कि परिणाम विधानसभा के अुनरूप उनके पक्ष में आएंगे। वहीं मुकाबला और रोमांचक तब हुए जब गणेश सिंह के धुर विरोधी मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनावी मैदान पर उतरे। दो ओबीसी नेताओं के बीच एक ब्राह्मण नेता ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था। 


मोदी के नाम का मिला फायदा 
कांग्रेस ने जहां गणेश सिंह के चार पंचवर्षीय के विकास कार्यों को अपना मुख्य मुद्दा बनाया वहीं विधानसभा चुनाव की गलतियों को दुरूस्त करते हुए गणेश सिंह ने मोदी के नाम का फायदा लिया। इस दौरान बीजेपी का मजबूत संगठन उनकी ताकत बना वहीं कांग्रेस के कई नेताओं ने चुनाव के वक्त पाला बदलकर भाजपा का साथ दिया। कमजोर संगठन ने कांग्रेस प्रत्याशी को हताश कर दिया। जानकारों का यहां तक कहना रहा कि सिद्धार्थ को पहले से ही हार का अंदाजा हो गया था इसीलिए सिद्धार्थ ने पूरी मेहनत से चुनाव नहीं लड़ा। बहरहाल, बात चाहे जो कुछ हो लेकिन एमपी में अन्य सीटों की तरह सतना में भी जनता ने बीजेपी को अपना आशीर्वाद दिया। 

बता दें कि सतना सीट पर इस बार 19 प्रत्याशी मैदान में थे। जबकि विधानसभा चुनाव हार चुके मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी भी बसपा के सहारे अपने राजनैतिक भविष्य को बचाने की कोशिश में लगे थे। जिन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। नारायण त्रिपाठी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे।