रीवा, सतना, सीधी, शहडोल: विंध्य की चारों लोकसभा सीटों में दिलचस्प हुआ मुकाबला

कांग्रेस के टिकट वितरण के बाद आसान नहीं रही बीजेपी की राह; रीवा में नीलम मिश्रा, सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा, सीधी में कमलेश्वर पटेल, शहडोल में फुंदेलाल मार्को देंगे टक्कर 

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रीवा लोकसभा सीट से कांग्रेस द्वारा पूर्व विधायक व सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वर्तमान विधायक अभय मिश्र की धर्मपत्नी नीलम मिश्रा और शहडोल लोकसभा सीट से पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को चुनावी समर में उतारने के बाद विंध्य की सभी चारों सीटों रीवा, सतना, सीधी, शहडोल में मुकाबला अब काफी रोचक हो चला है। प्रत्याशी चयन में भाजपा के नक्शे कदम पर चलते हुए जहां कांग्रेस ने भी जातीय समीकरण साधा है, वहीं विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की रणनीति पर काम करते हुए कांग्रेस ने दो वर्तमान विधायकों और दो पूर्व विधायकों को टिकट दी है। 
जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो, रीवा लोकसभा सीट के जरिए जहां कांग्रेस ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है, वहीं सतना सीट से सिद्धार्थ कुशवाहा और सीधी सीट से कमलेश्वर पटेल  के बहाने ओबीसी तथा विंध्य क्षेत्र में पटेल और कुशवाहा समाज के बड़े वोट बैंक पर अपनी नजरें गड़ाई हैं। वहीं फुंदेलाल सिंह मार्को की आड़ में आदिवासी वोट बैंक को भुनाने की कोशिश की है। ज्ञात हो कि अभी तक घोषित कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशियों में समूचे मध्यप्रदेश में नीलम मिश्रा इकलौती महिला प्रत्याशी हैं।

ऐसे नीलम को मिला टिकट 
 रीवा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने 2 दशक से ज्यादा वर्षों बाद तिवारी परिवार से इतर किसी को अपना लोस प्रत्याशी बनाया है। नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्र रीवा के इकलौते कांग्रेस विधायक हैं। जिले में कुल मिलाकर ८ विधानसभा सीटें हैं जिनमें से 7 में बीजेपी व एक में कांग्रेस का कब्जा है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर कैंडिडेट चयन के लिए पार्टी ने काफी माथा पच्ची की शुरूआत में टिकट की दौड़ में रीवा महापौर अजय मिश्र बाबा सबसे आगे थे। लेकिन बाद में विंध्य की एक सीट में महिला को टिकट देने की बात चल पड़ी और बाबा दौड़ से पिछड़ने लगे। महिला प्रत्याशियों में नीलम के अलावा कविता पाण्डेय का नाम भी चला लेकिन इन दोनों में नीलम मिश्रा का पलड़ा भारी रहा। और पार्टी आला कमान ने नीलम के नाम पर मुहर लगा दी। 

रीवा में होगा कड़ा मुकाबला 
कांग्रेस प्रत्याशी नीलम मिश्र के राजनैतिक बैकग्राउंड की बात करें तो, नीलम मिश्र 2013 में भाजपा की टिकट से सेमरिया विधायक चुनी गई थीं। वहीं उनके पति अभय मिश्र 2008 में सेमरिया के विधायक बीजेपी की ही टिकट से चुने गए थे। हालांकि साल 2018 में दोनों पति पत्नी ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। जिसके बाद 2023 में कांग्रेस की टिकट पर अभय मिश्र फिर विधायक निर्वाचित हुए। कुल मिलाकर नीलम मिश्रा और उनका परिवार रीवा की राजनीति में रचा बसा है। नीलम मिश्रा का मुकाबला इस बार भाजपा के दो बार के सांसद जनार्दन मिश्र से है। 

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सतना में त्रिकोणीय मुकाबला 
विंध्य के सतना लोकसभा सीट में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। जहां बीजेपी से 4 बार के सांसद गणेश सिंह एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं वहीं कांग्रेस की ओर से दूसरी बार के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा प्रत्याशी बनाए गए हैं। दोनों की उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से आते हैं। हाल ही मे हुए विधानसभा चुुनाव में सतना विधानसभा सीट से सिद्धार्थ कुशवाहा ने गणेश सिंह को लगभग 4 हजार वोटों से पराजित किया था। जिससे कांग्रेस कार्यकर्ता कांफीडेंस में हैं। वहीं बसपा की ओर से पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी उम्मीदवार हैं जो कि ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। ऐसे में जातीय समीकरण के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण का अनुमान लगाया जा रहा है। 

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सीधी में कांग्रेस-भाजपा की सीधी भिड़ंत 
सीधी लोकसभा सीट में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। कांग्रेस से पूर्व मंत्री व CWC के सदस्य कमलेश्वर पटेल प्रत्याशी हैं जबकि भाजपा ने यहां से नए चेहरे डॉ राजेश मिश्रा के नाम पर दांव खेला है। जातीय समीकरण की बात करें तो कांग्रेस ने ओबीसी व भाजपा ने ब्राह्मण वर्ग से अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से राज्य सभा के सांसद रहे अजय प्रताप सिंह ने पार्टी से प्रत्याशी न बनाए जाने से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया और अब गोड़वना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस-बीजेपी के बीच बताया जा रहा है। 

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शहडोल में कांग्रेस ने विधायक को उतारा 
विंध्य की शहडोल लोकसभा सीट में कांग्रेस ने पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा की ओर से दूसरी बार हिमाद्री सिंह पर भरोसा जताया गया है। हिमाद्री सिंह ने साल 2019 में भी भाजपा की टिकट से चुनाव जीता था। जबकि फुंदेलाल सिंह मार्को जिले के एक मात्र कांग्रेस विधायक हैं। साथ ही जमीनी नेता माने जाते हैं। 

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