MP Politics: सभी 29 सीट देने वाले मध्यप्रदेश को कितने मंत्री पद मिलेंगे!, अटकलों का बाजार तेज

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को बड़ा पोर्टफोलियो मिलने के आसार 

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नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी में मध्य प्रदेश से कितने मंत्री होंगे। इसे लेकर अब कयास लगने लगे हैं। पिछले कार्यकाल में प्रदेश से 6 मंत्री थे। ये मंत्री लोकसभा के साथ ही राज्यसभा से चुने गए थे। हालांकि बीच में कई मंत्री हटे और उन्हें दूसरे महत्वपूर्ण पदों से नवाजा गया। 

इस कार्यकाल में गठबंधन के बाकी दलों को भी साधना हैं, ऐसे में अब प्रदेश से कितने मंत्री बनेंगे इसे लेकर अटकलें तेज हैं मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सांसदों के साथ भाजपा के आठ राज्यसभा सदस्य हैं। मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल करना लगभग तय माना जा रहा है। वे अभी भी केंद्रीय मंत्री थे, इसलिए उन्हें फिर से जगह मिलना तय है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी दिल्ली में एडजस्ट करना पड़ेगा। उन्हें भी मंत्री बनाया जा सकता है। उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया जा सकता है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में मिली ऐतिहासिक जीत पर उन्हें भी मंत्री पद दिया जा सकता है। वे केंद्र के कई नेताओं की पसंद भी हैं। 

माना जा रहा है एनडीए के नए कार्यकाल में एमपी को कई मंत्री पद मिल सकते हैं इसका कारण है यहां भाजपा का क्लीन स्वीप। इस चुनाव में केवल एमपी ही बड़ा राज्य रहा जहां बीजेपी ने सारी सीटें जीत लीं। वहीं यूपी और महाराष्ट्र कोटे में मंत्रियों की संख्या में कमी हो सकती है। लेकिन इस बार का बड़ा पेंच गठबंधन में शामिल दलों को मंत्री पदों में एडजस्ट करना पड़ेगा। अब देखना है कि एनडीए सरकार में इस बार कैसा मंत्रिमंडल देखने को मिलता है।

मोदी सरकार के 2019 से 2024 के कार्यकाल में मध्यप्रदेश कोटे से 6 मंत्री थे। जिनमें नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल, वीरेंद्र खटीक, ज्योतिरादित्य सिंधिया, धर्मेंद्र प्रधान, थावरचंद गहलोत शामिल थे। इनमें से करीब 6 महीनें पहले नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल को विधानसभा चुनाव लड़वाया गया और उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इनके साथ ही फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गए। लेकिन केंद्र में मंत्री पद बरकरार रहा। मप्र से राज्यसभा सांसद धर्मेंद्र प्रधान को भी मंत्री पद मिला था। राज्यसभा सांसद थावरचंद गहलोत के पास भी मंत्री पद था, लेकिन गहलोत को राज्यपाल बनाने के बाद वे मंत्रिमंडल से बाहर हो गए थे।