MP Politics 2023: ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर से प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे राहुल गांधी

सत्ता में वापसी के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल पर कांग्रेस की खास नजर

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कर्नाटक के चुनाव परिणाम से कांग्रेस हाईकमान का सबसे ज्यादा फोकस मध्य प्रदेश पर है। गांधी परिवार भी मप्र के विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी जबलपुर से कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद कर चुकी हैं। जबलपुर में उन्होंने मां नर्मदा की जाएगा। पूजा कर जहां सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने का संकेत दे गई हैं, वहीं उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मप्र सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर पांच गारंटी का ऐलान भी कर गई।


 अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की बारी है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी जुलाई में मप्र के दौरे पर आएंगे। वे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर से अपने चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी राहल गांधी के साथ आएंगे। मालियर में राहुल गांधी की विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है।


पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सरकार बनाने में ग्वालियर चंबल अंचल की सबसे बड़ी भूमिका रही। जिसके बाद महाकौशल में कांग्रेस को सबसे ज्यादा समर्थन मिला था। यही वजह है कि महाकौशल के साथ ही कांग्रेस का सबसे ज्यादा फो ग्वालियर, चंबल अंचल पर है। कांग्रेस ग्वालियर में राहुल गांधी की जनसभा के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करना चाहती है। 


कांग्रेस को 34 में से 26 सीटें मिली थीं
ग्वालियर व चंबल संभाग के 8 जिलों में कुल 34 सीटे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी भाजपा को 7 सीटें मिली थी और सीट बसपा के खाते में गई थी कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव की परफॉरमेंस को बरकरार रखना चाहती है। कांग्रेस नेतृत्व ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ ही नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पूर्व मंत्री सिंह आदि को भी ग्वालियर चंबल अंचल में सकिय किया है। नेताओं का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस का निश्चित वोट बेस है। वर्ष 2013 और 2008 के चुनावों में भी को यहाँ अ वोट शेयर मिला था।


दरअसल, मार्च, 2020 ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। वे अपने 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, जिनसे कमलनाथ सरकार गिर गई थी। उनके साथ बड़ी संख्या में ग्वालियर अंचल के कांग्रेस नेतापार्टी कार्यकर्ता भी गए थे।

 सिंधिया समर्थक विधायकों और नेताओं को पार्टी में तवज्जो मिलने से भाजपा के पुराने नेता नाराज हैं। उनके बीच शुरुआत से ही पटरी नहीं बैठ रही है। अब जब चुनाव में टिकट बंटवारे का वक्त नजदीक आ गया है, तो उनके बीच खाई और बढ़ती जा रही है। पुराने सिंधिया समर्थकों को फिर से टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी भाजपा में मची अंदरूनी खींचतान का फायदा उठाना चाहती है। 


यही वजह है कि राहुल गांधी की पहली चुनावी सभा ग्वालियर में रखने का निर्णय लिया। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के ग्वालियर आगमन पर बड़ी संख्या में भाजपा नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।