MP News: एमपी में दसवीं-बारहवीं में सप्लीमेंट्री खत्म, इसी सत्र से लागू करने की तैयारी
सरकार ने जारी किया मसौदा, दावे-आपत्तियों के लिए पंद्रह दिन का वक्त

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में सप्लीमेंट्री (पूरक) खत्म कर दी है। अब साल में दो परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसके आधार पर वार्षिक परीक्षा का परिणाम तैयार किया जाएगा। यह निर्णय चालू शैक्षणिक सत्र 'वर्ष 2024-25' में आयोजित होने वाली परीक्षा से लागू किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस संबंध में मसौदा तैयार कर लिया है और 21 मार्च २०२५ को जारी कर दिया है। सरकार की ओर से पंद्रह दिन में इसको लेकर दावे और आपत्तियां बुलाई गई हैं।
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं-बारहवीं परीक्षा में हर साल 18 लाख के आसपास विद्यार्थी शामिल होते हैं। बोर्ड अभी तक एक बार परीक्षा संचालित करता है। यह परीक्षा फरवरी और मार्च में होती है। मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के बाद जुलाई में सप्लीमेंट्री आयोजित की जाती है।
अब इस पैटर्न को सरकार ने बदलने का निर्णय ले लिया है। अब परीक्षा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होगी। इसके तहत फरवरी और जुलाई में दो वार्षिक परीक्षाएं होगी। इन दोनों परीक्षाओं के अच्छे विषयों के नंबरों के आधार पर छात्रों की एक मुख्य मार्कशीट तैयार कर दी जाएगी। इसके लिए 21 मार्च को सरकार ने ड्राफ्ट जारी किया है। इस पर पंद्रह दिन में दावे-आपत्तियां बुलाई गई हैं।
गौरतलब है कि दो मुख्य परीक्षाओं का मॉडल गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्य में पहले से लागू है। माशिमं के द्विर्षीय पाठ्यक्रम के आधार पर दसवीं-बारहवीं बोर्ड के साथ यह नवमीं-ग्यारहवीं में भी लागू होगा। इस दो एग्जाम मॉडल का असर प्रदेश के कुल 36 लाख से अधिक विद्यार्थी पर पड़ेगा।
ऐसे समझें दो परीक्षाओं का नया मॉडल
बोर्ड की बारहवीं परीक्षा में छात्र अजय (काल्पनिक नाम) ने गणित संकाय लिया। इस संकाय के आधार पर अजय के बारहवीं में पांच विषय (मैथमेटिस, फिजिस, केमेस्ट्री, हिंदी व अंग्रेजी) हैं। दो परीक्षाओं के मॉडल के अनुसार अजय ने पहली वार्षिक परीक्षा फरवरी में दी। इसका रिजल्ट घोषित होने के बाद अजय के मैथमेटिस, फिजिस, केमेस्ट्री और हिंदी में अच्छे नंबर आए। अंग्रेजी में कम नंबर आए।
इसके बाद मंडल की दूसरी परीक्षा जुलाई में आयोजित होगी। अजय चाहे, तो दूसरी परीक्षा में सभी विषयों के पेपर दे सकता है या सिर्फ अंग्रेजी (जिस विषय में नंबर कम थे) के पेपर में शामिल हो सकता है। इसके बाद छात्र का जो रिजल्ट बनेगा, उसमें अंग्रेजी के जिस परीक्षा में अच्छे नंबर थे, उसे शामिल किया जाएगा। यही पैटर्न फेल या सप्लीमेंट्री होने की स्थिति में अपनाया जाएगा।