MP News: एमपी में दो-तीन पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदी पर मिलेगी सब्सिडी
मप्र की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के ड्राफ्ट में प्रस्ताव, आम लोगों से भी सुझाव मांगेगी सरकार

भोपाल। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार सब्सिडी देगी। यह केवल दो और तीन पहिया वाहनों की खरीदी पर दी जाएगी। बताया जा रहा है कि ई-वाहनों को स्क्रेप करने पर भी राशि दी जाएगी। राज्य की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के ड्राफ्ट में इसे प्रस्तावित किया गया है। इसे जल्दी ऑनलाइन जारी कर दिया जाएगा, ताकि आम लोग इस पर सुझाव दे सकें।
ई-व्हीकल पॉलिसी को फाइनल करने की कवायद लंबे समय से चल रही है। इसमें लगातार बदलाव भी किए जा रहे हैं। अब ड्राफ्ट में केंद्र की ओर से लागू की गई वाहनों की स्क्रेप पॉलिसी के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ड्राफ्ट जल्द वेबसाइट पर जारी कर देंगे। इस पर सात दिन में लोग सुझाव दे सकेंगे। उचित सुझावों को मसौदे में शामिल करेंगे। फिर पॉलिसी को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
ई-वाहनों के लिए पार्किंग स्पेस जरूरी
प्रदेश की पार्किंग पॉलिसी में भी ई-वाहनों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें प्रस्तावित किया गया है कि मॉल, शॉपिंग कॉपलेस, बड़ी व्यवसायिक इमारतों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पार्किंग स्पेस रखना जरूरी होगा। उनके लिए चार्जिंग स्टेशन भी बनाने होंगे। निर्माण की ड्रॉइंग व प्लान में इसे शामिल किए बगैर संबंधित नगरीय निकाय से बिल्डिंग परमिशन नहीं मिलेगी।
अब तक बन चुकी कॉमर्शियल बिल्डिंग्स में भी ई-वाहनों के लिए पार्किंग की जगह सुनिश्चित कराई जा सकती है। केंद्र और राज्य सरकार ई-वाहन नीति को ध्यान में रखते हुए इनको बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर चार्जिंग स्टेशन समेत अन्य प्रावधान किए जा रहे हैं। पार्किंग क्षेत्र का 20 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रखना होगा।
फास्ट टैग से पार्किंग फीस का पेमेंट, अवैध वसूली रुकेगी पार्किंग पॉलिसी के ड्राफ्ट में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव किया गया है। टोल टैक्स की तरह पार्किंग शुल्क का पेमेंट फास्ट टैग से करने की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। यानी जब कोई वाहन पार्किंग स्थल में प्रवेश करेगा, तो एंट्री टाइम वहां लगी मशीन में दर्ज होगा जाएगा और जब बाहर निकलेगा तो बैरियर पर लगी मशीन से अवधि की गणना कर तय राशि फास्ट टैग के जरिए काट ली जाएगी।
इसका फायदा यह होगा कि पार्किंग स्थलों पर अवैध वसूली की सबसे ज्यादा शिकायतें आती हैं। दो से तीन गुना अधिक राशि ले ली जाती है। कई बार पार्किंग की पर्ची नहीं दी जाती है। इस तरह की गड़बड़ियों और ज्यादा वसूली फास्ट टैग पेमेंट होने पर रुक जाएगी। इसके अलावा शहरों में निजी पार्किंग होगी। यानी कोई व्यक्ति तय शर्तों का पालन करते हुए अपनी भूमि पर या बिल्डिंग में पेड पार्किंग संचालित कर सकेगा। इसके लिए परमिट दिया जाएगा।
अभी हर शहर की पार्किंग नीति अलग
अभी प्रदेश के नगरीय निकायों में पार्किंग के लिए कोई एक नीति नहीं है। निकाय खास तौर से नगर निगम अलग-अलग मॉडल पर पार्किंग स्थलों का संचालन और शुल्क वसूलते हैं। शहरों में आबादी के साथ में वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
इसके मुकाबले पर्याप्त पार्किंग स्थल उपलब्ध नहीं हैं। कई शहरों में सड़कों पर पार्किंग हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए और सभी निकायों में एक जैसे नियम लागू करने के लिए वर्ष 2016 में पार्किंग नीति का मसौदा बन गया था। हालांकि यह कवायद आगे नहीं बढ़ पाई थी।