MP News: प्रदेशभर के 364 नर्सिंग कॉलेजों की CBI करेंगी जांच, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

कई कॉलेज चल रहे कागजों में, कइयों में बेडों और प्रोफेसर की संख्या में की गई धांधली
 
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प्रदेश के 350 से अधिक नर्सिंग कॉलेज महाघोटाले की जांच अब हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी है। बताया गया है कि मप्र के 364 कॉलेजों में से अधिकांश में धांधलियां की गई। कई कालेज तो केवल कागजों में ही चल रहे हैं जबकि कईयों में बेड़ों की संख्या में व्यापक पैमाने पर लीपापोती की गई है।

 इन गड़बडिय़ों की होगी जांच

जानकारी के अनुसार इससे पहले भी 93 कॉलेजों की मान्यता कुछ समय पहले रद्द कर दी गई थी। हांलाकि इस पूरी इस पूरी कवायद के चलते डेढ़ लाख से अधिक छात्रों का भविष्य अवश्य अधर में लटक गया, क्योंकि जिन छात्रों ने 2020-21 में इन कॉलेजों में फस्र्ट ईयर एडमिशन लिया, अब तीन साल पूरा होने के बाद भी उनकी परीक्षाएं नहीं हो सकी। दूसरी तरफ यह कॉलेज हर साल 20 हजार से अधिक नए छात्रों का एडमिशन अलग कर देते हैं, वहीं कई अस्पतालों को नर्सिंग स्टाफ भी नहीं मिल पा रहा है।

दो साल पहले नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया और ग्वालियर हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई गई और उसके निर्देश पर शासन ने भी जब इनमें से कुछ कॉलेजों की जांच की तो उनमें कई फर्जी पाए गए। इसके चलते शासन भी हाईकोर्ट को संतोषजनक जवाब प्रस्तुत नहीं कर पाया। नतीजतन सभी कॉलेजों की परीक्षाओं पर भी पूर्व में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, वहीं कल 364 नर्सिंग कॉलेजों का विस्तृत ब्यौरा सीबीआई को सौंपने के निर्देश भी दिए और साथ ही मध्यप्रदेश नर्सिंग कौंसिल को भी नोटिस जारी करते हुए पार्टी बनाया है।


दरअसल इन कॉलेजों को मान्यता देने में जमकर धांधली की गई। कहीं पर तय मापदण्डोंं के मुताबिक भवन ही नहीं थे तो कई कॉलेजों के अते-पते ही फर्जी पाए गए। कुछ जगह बैनर टांगकर कॉलेज संचालन करना बता दिया। दरअसल 2023-24 के लिए इन कॉलेजों की मान्यता अभी जून के माह में रिन्यू की जाना थी, वहीं शासन एक साथ चार साल की मान्यता देने का भी प्रस्ताव लाया। मगर अब हाईकोर्ट आदेश और सीबीआई जांच के चलते परीक्षा सहित अन्य प्रक्रिया भी अधर में रहेगी। नतीजतन डेढ़ लाख से ज्यादा विद्यार्थी ही अधर में आ गए हैं। हालांकि नर्सिंग स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन का कहना है कि जीरो ईयर घोषित करते हुए परीक्षाओं को आयोजित करवाए और चार साल का कोर्स दो साल में करवाकर छात्रों को असाइनमेंट के आधार पर प्रमोट भी किया जाए।