MP News: मध्यप्रदेश में महिला बाल विकास विभाग में संयुक्त संचालक के पद पर हुईं नियम विरुद्ध पदोन्नतियां
प्रमुख सचिव से शिकायत, पदोन्नतियों को निरस्त कर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग

भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग में उप संचालक से संयुक्त संचालक के पद पर नियम विरुद्ध पदोन्नतियों का मामला सामने आया है। पदोन्नतियों में सभी नियमों को ताक पर रखकर अपात्र अधिकारियों को उपकृत किया गया है। इस मामले में प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास को शिकायत की गई है। साथ में पदोन्नतियों को निरस्त करते हुए सभी पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
प्रमुख सचिव को कि गई शिकायत में कहा गया है कि एक जनवरी 2014 की स्थिति में महिला एवं बाल विकास विभाग में संयुक्त संचालक के कुल 19 पद स्वीकृत थे। नवम्बर 2014 में संयुक्त संचालक के 6 नवीन पद सृजित किए गए। इस प्रकार कुल 25 पद हो गए।
जिसमें से एक पद वित्त सलाहकार के लिए आरक्षित होने से विभाग के अधिकारियों के लिए 24 पदों की स्वीकृति प्राप्त हुई। 26 दिसंबर 14 को हुई डीपीसी से पहले इन 24 पदों पर आरक्षण रोस्टर के मान से 19 अधिकारी पदस्थ थे। वहीं 26 दिसंबर 14 की स्थिति में एक अनारक्षित, दो एससी और दो एसटी के पद रिक्त थे। लेकिन उस समय संयुक्त संचालक स्तर के तीन अधिकारी प्रज्ञा अवस्थी, अमिताभ अवस्थी एवं अलंकार मालवीय दो वर्ष से अधिक अवधि से प्रतिनियुक्ति पद पर पदस्थ थे।
ऐसे में तीन पदों को भी रिक्त मानकार एक जनवरी 14 की स्थिति में 8 पद रिक्त माने गए। इसमें भी अनारक्षित संवर्ग के केवल 4 पद उपलब्ध थे। यहां भी अपात्रों को पदोन्नत करने के लिए अनारक्षित संवर्ग में संख्या पर्याप्त नहीं थी। ऐसे में पदो की गणना में घालमेल करते हुए 26 दिसंबर 14 को हुई डीपीसी में संयुक्त संचालक से अपर संचालक के रिक्त दो पदों की काल्पनिक गणना कर ली गई, जबकि ये दो पद जुलाई 15 तक उपलब्ध नहीं थे।
7 जुलाई 15 को संयुक्त संचालक से अपर संचालक पद पर पदोन्नति आदेश जारी होने के उपरांत यह पद उपलब्ध हुए। खासबात यह है कि 8 जनवरी 15 से 7 जुलाई 15 तक संयुक्त संचालक के इन दो पदों पर 4 संयुक्त संचालक पदस्थ रहे और सबका वेतन भी निकलता रहा। कहीं कोई देखने वाला नहीं था।
पहले अपात्र बाद में हो गए पात्र
महिला बाल विकास में 26 दिसंबर 14 की डीपीसी में कुछ उपसंचालकों के गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध न होने एवं ग्रेडिंग में कम अंक होने के कारण अपात्र पाए गए थे। ऐसे में उनसे कनिष्ठ उपसंचालकों को पदोन्नत कर दिया गया। हालांकि जो लोग पूर्व में अपात्र थे, कुछ समय बाद गोपनीय चरित्रावली सुधार कर पात्र कर दिया गया।
वर्ष 2015 में दो बार रिव्यू डीपीसी हुई और दोनों बार छूट गये उपसंचालक पदोन्नति के पात्र पाए गए, लेकिन उनके लिए कनिष्ठतम संचालक को पदावनत नहीं किया गया। इससे अनारक्षित संवर्ग के पदोन्नत अधिकारियों की संया 9 हो गई, जबकि वास्तव में मात्र चार पद उपलब्ध थे।
पुराने गोपनीय प्रतिवेदन पर नए अधिकारियों को एडजस्ट कर दिया
वर्ष 2015 में तीन अधिकारी सेवानिवृत्त हुए। नियमानुसार शासकीय सेवक जिस दिनांक को सेवानिवृत्त होगा उसे कैलेंडर वर्ष में पद रिक्त माने जाएंगे। साथ नवीन डीपीसी की कार्रवाई की जाएगी। इनमें से कोई सेवानिवृत्ति वर्ष 2014 में नहीं हुई, लेकिन इसी वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदन, ग्रेडिंग तथा विचारण क्षेत्र के आधार पर ही अपने चहेतों को उपकृत कर दिया गया।
शिकायतकर्ता का आरोप-मंत्रालय के कई अधिकारी भी हैं शामिल
शिकायतकर्ता जयप्रकाश शर्मा ने आरोप लगाया है कि इस मामले में मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में प्रकरण की जांच किसी और को सौंपी जाती है तो लीपापोती हो सकती है। शर्मा ने पीएस से उनकी निगरानी में जांच कराने की मांग की है। जांच में दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर अपात्र अधिकारियों को पदावनत और पात्र अधिकारियों को पदोन्नत कर न्याय दिलाया जाए।