MP News: एमपी में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम की प्रक्रिया फाइलों में अटकी, डिप्टी सीएम से मिले फिजियोथेरेपी एसोसिएशन अध्यक्ष

दो साल पहले तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जीएमसी में कोर्स शुरू करने का किया था ऐलान

 | 
MP

भोपाल। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा दो साल पहले तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने की थी, लेकिन दो साल बाद भी यह घोषणा केवल कागजों पर है। अब एक बार फिर से इस पर चर्चा शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले फिजियोथेरेपिस्ट संघ ने डिप्टी सीएम (स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा) राजेन्द्र शुक्ल से मुलाकात की थी। उसके बाद से यह उमीद लगाई जा रही है कि अगले सत्र में बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (बीपीटी) कोर्स शुरू किया जाएगा।


तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में जल्दी बीपीटी की शुरुआत की जाएगी। उसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी इसे लागू किया जाएगा। जीएमसी से आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लगभग 100 से अधिक चिकित्सक प्रति वर्ष तैयार होकर निकलते हैं। 


इस कॉलेज के अस्पताल से लाखों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस कॉलेज में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम संचालित नहीं है। आधुनिक युग में फिजियोथेरेपी अनिवार्य आवश्यकता के रूप में उभर कर सामने आई है। खेल के मैदान से लेकर गहन चिकित्सा इकाई तक एवं नवजात शिशु से लेकर वृद्धावस्था की गंभीर समस्याओं की चिकित्सा में फिजियोथेरेपी कारगर साबित हुई है।


सिर्फ जबलपुर-इंदौर में संचालित हो रहा कोर्स
प्रदेश में अभी जबलपुर और इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कोर्स कराया जाता है, जबकि कई प्राइवेट कॉलेज हैं, जहां पर बीपीटी की डिग्री पढ़ाई के बाद मिल जाती है। फिजियोथेरेपी में साढ़े चार वर्ष की बैचलर डिग्री के अलावा अनेक विषयों में दो वर्ष अवधि के स्नातकोार पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

जैसे आर्थोपेडिक, न्यूरोलॉजी, गायनेकोलॉजी, पिडियाट्रिस, जिरियाटिक केयर, स्पोर्टस, पुनर्वास, कम्युनिटी बेस्ड रिहेबिलिटेशन एवं मस्युलो रिहेबिलिटेशन आदि की विशेषज्ञता में मास्टर्स डिग्री के साथ पीएचडी पाठ्यक्रम भी संचालित है। फिजियोथेरेपी के पाठ्यक्रम में मार्डन मेडिसिन (एलोपैथी) के लगभग सभी विषय सम्मिलित हैं।


जीवन रक्षा में फिजियोथेरेपी आवश्यक
मध्यप्रदेश फिजियोथैरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुनील पांडेय ने बताया कि इस पद्धति के अंतर्गत जटिल से जटिल सर्जरी, हड्डियों की टूट-फूट, खेल के मैदान में खिलाड़ियों को आने वाली चोटों तथा मांस-पेसियों, जोड़ों एवं न्यूरो तंत्र से संबंधित समस्याओं, बीमारियों, चोटों के इलाज में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका स्थापित हो चुकी है। 


बहुत बड़ी संख्या में सामान्य जन एवं मरीज इसकी चिकित्सा प्राप्त करते हैं। इस तरह रोगियों के स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा में फिजियोथेरेपी एवं फिजियोथेरेपिस्ट को उच्च स्तरीय शिक्षण प्रशिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध कराना अति आवश्यक है। पांडेय ने बताया कि मध्य प्रदेश में आठ से 10 हजार फिजियोथैरेपिस्ट हैं, लेकिन सरकारी कॉलेजों से डिग्री नहीं होने के चलते उन्हें बेहतर जॉब नहीं मिल पाता। साथ में प्राइवेट कॉलेजों की डिग्री होने से उनका वेतन मान भी कम होता है। 


ऐसे में सभी मेडिकल कॉलेजों में जल्द से जल्द कोर्स शुरू किया जाना चाहिए। पांडेय ने बताया कि फिजियोथेरेपी के लगभग सभी विषय एलोपैथी के ही होते हैं। इस कारण मेडिकल कालेजों में पदस्थ प्रोफेसर एवं विषय विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के अध्यापन की उच्चस्तरीय व्यवस्था सहजता पूर्वक उपलब्ध कराई जा सकती है।