MP News: मध्यप्रदेश में अब हवाई सर्वे से तय होगी शहरों की सीमा

लैंड रिकॉर्ड होगा डिजिटल, प्लानिंग और जीवन स्तर सुधरेगा

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भोपाल। शहरों की सीमा एयरक्राफ्ट या ड्रोन की मदद से एरियल सर्वे के जरिए तय की जाएगी। थ्री डी मॉडल भी बनाया जाएगा। शहरी सीमा का लैंड रिकॉर्ड अपडेट करने के साथ डिजिटाइज किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए देश के 100 शहरों में नेशनल जियोस्पेशियल नॉलेज बेस्ड लैंड सर्वे ऑफ अर्बन हैबीटेशन्स (नशा) प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसका मकसद भू-रिकॉर्ड को सटीक और अपटू-डेट करना है, ताकि शहरों में ट्रांसपोर्टेशन, ड्रेनेज, बाढ़ आदि की प्लानिंग, संपत्ति कर का निर्धारण के साथ रहने लायक परिस्थितियों को बेहतर बनाया जा सके। मध्यप्रदेश के आठ शहरों में भी यह पायलट प्रोजेक्ट किया जाएगा।


डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत नक्शा एक साल के लिए चलेगा। सर्वे ऑफ इंडिया इसमें तकनीकी सहयोग करेगा। पायलट प्रोग्राम के नतीजों के आधार पर देश भर में इसे लागू किया जाएगा। शुरुआती 100 शहरों के लिए 193 करोड़ रुपए से अधिक मंजूर किया गया है।


फाइनल लैंड रिकॉर्ड का नशा होगा प्रकाशित
संबंधित राज्यों को मौजूदा रिकॉर्ड व नक्शों का डिजिटलीकरण करना होगा। रिकॉर्ड ऑफ राइट्स यानी प्रॉपर्टी टैक्स डाटा व अन्य जानकारियों को एकीकृत करना होगा। राज्यों में फील्ड सर्वे के जरिए लैंड पार्सल्स का सीमांकन किया जाएगा। इसके बाद मैप प्रकाशित करना होगा। इस नक्शे के आधार पर मालिकाना हक, क्षेत्र आदि से जुड़े दावे-आपत्तियां बुला कर उनका निराकरण किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने पर शहरी क्षेत्रों के फाइनल लैंड रिकॉर्ड का नक्शा प्रकाशित किया जाएगा। इस प्रोग्राम की मॉनीटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी भी बनाई जाएगी।


केंद्र के पायलट प्रोजेक्ट में एमपी के आठ शहर शामिल प्रदेश के आठ छोटे शहरों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। इसमें हरदा नगर पालिका (आबादी 74 हजार), विदिशा (1.56 लाख), मंदसौर (1.42 लाख), शाहगंज नगर परिषद (नौ हजार), छनेरा (22 हजार), छतरपुर (1.42 लाख), अलीराजपुर (28 हजार) और देपालपुर नगर पालिका (17 हजार) शामिल है।


मालिकाना हक, क्षेत्र को लेकर दावे और आपत्ति भी बुलाएंगे 
नक्शा के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल 100 शहरों का थर्ड एजेंसी की मदद से एरियल सर्वे किया जाएगा। इसके लिए एयरक्राफ्ट या ड्रोन का उपयोग होगा। चयनित एजेंसी सैटेलाइट इमेज की सहायता से शहरी क्षेत्र के एरियल सर्वे के लिए सीमा तय की जाएगी। हाई रिजॉल्यूशन डाटा जुटाया जाएगा। थ्री डी रिएलिटी मॉडल तैयार किया जाएगा। टू डी व थ्री डी जीआईएस डाटा सेट बनाया जाएगा। इसमें इमारतों, पब्लिक यूटिलिटिज, निर्माणों की सीमा दीवार तक स्पष्ट होगी।