MP News: एमपी में अब शहरों से गांवों के स्कूलों में पदस्थ किए जाएंगे शिक्षक

स्कूल शिक्षा विभाग की तैयारी, अतिशेष शिक्षकों की आगामी अप्रैल में शुरू होगी प्रक्रिया

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भोपाल। मध्यप्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग ने शहरों से गांवों के स्कूलों में नहीं जाने वाले अतिशेष शिक्षकों को अब जबरिया भेजने की तैयारी की है। शहर से गांव भेजे जाने वाले शिक्षकों की संख्या छह हजार के आसपास है। आगामी अप्रैल 2025 में इन शिक्षकों को प्रशासकीय आधार पर खाली पड़े स्कूलों में स्थानांतरण किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है।


दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग का साल 2024 उच्च पद के प्रभार व अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग में चला गया। यह प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई है। स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल अतिशेष शिक्षकों की कुल संख्या 21966 थी। इसमें वर्ग एक के 1780, वर्ग दो के 7937 व वर्ग तीन के 12249 थे। इन शिक्षकों को कमी वाले स्कूलों में भेजा गया। काउंसलिंग के माध्मय से भेजे गए शिक्षकों की संख्या 16051 थी। 


करीब छह हजार अतिशेष शिक्षकों का मामला अटक गया। यह शिक्षक कोर्ट चले गए या राजनीतिक कारणों से रोक लिए गए। वर्तमान में 5914 ऐसे शिक्षक हैं, जो अतिशेष है। यह शिक्षक शहरों की शालाओं जमे हुए हैं। अब इन शिक्षकों को जबरिया गांव में भेजने की तैयारी की जा रही है।

विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। तैयार प्रस्ताव के अनुसार 5914 शिक्षकों की अब काउंसलिंग के माध्मय से पदस्थापना नहीं की जाएगी। इन शिक्षकों को आगामी अप्रैल 2025 में प्रशासकीय स्थानांतरण के माध्यम से शिक्षकों की कमी वाली शालाओं में पदस्थ किया जाएगा।


आपत्तियों का निराकरण नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले साल उच्च पद का प्रभार और अतिशेष शिक्षकों के मामले में भारी विसंगतियां थीं। विभाग के कुछ अधिकारियों की गलती पर पूरे प्रदेश में शिक्षक विरोध प्रदर्शन करने लगे। इसे देखते हुए दो माह पूर्व 11 अक्टूबर तक अतिशेष शिक्षकों की संभागीय स्तर पर आपत्तियां बुलाई गई थीं। इन आपत्तियों का निराकरण कर 14 से 18 अक्टूबर के बीच आदेश जारी किए जाने थे। 


अतिशेष शिक्षकों के आपत्तियों के आवेदन में अधिकतम को मान्य किया गया। यानी विभाग ने गलत तरीके से शिक्षकों को अतिशेष कर अन्य जगह पदस्थ कर दिया था। यह भी सामने आया था कि रीवा समेत कुछ जिलों में 60 फीसदी से ज्यादा प्रकरण मान्य किए गए। यह मामले जब लोक शिक्षण संचालनालय पहुंचे, तो अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ। इससे विभाग ने आपत्तियों के प्रकरण को होल्ड पर डाल दिया है। इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।


गलत दर्ज की गई छात्र संख्या विद्यालयों की पदसंरचना विमर्श पोर्टल पर दर्ज हैं और विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर निर्धारित की गई हैं। अधिकांश विद्यालयों में प्राचार्यों, विकासखंड शिक्षा अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों के कार्यालयों की लापरवाही के कारण छात्र संख्या पोर्टल पर गलत अंकित हो गई है अथवा दर्ज नहीं हो पाई है। 


इस कारण पद स्वीकृत नहीं होने से बहुत से शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ गए, जबकि वास्तविक रूप से इन विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या अनुसार पद स्वीकृत होने चाहिए। विभागीय सूत्रों की माने तो अब नया एजुकेशन पोर्टल 3.0 बनाया जा रहा है। यह पोर्टल आधुनिक होगा। आगामी अप्रैल माह से यह पोर्टल शुरू हो जाएगा। इस पोर्टल के आधार पर ही सभी कार्य होंगे।