MP News: इलाज में लापरवाही के मामले में डॉक्टरों पर अब एफआईआर कराना आसान नहीं, जानिए नियम -
राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में सभी पुलिस अधीक्षकों को दिए आदेश
भोपाल। इलाज में लापरवाही के मामले में डॉक्टरों पर अब सीधे एफआईआर कराना आसान नहीं होगा। थाना प्रभारी भी अपनी मर्जी से डॉक्टर के खिलाफ न तो एफआईआर कर सकेंगे और न गिरफ्तार कर पाएंगे।
राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को आदेश जारी किए है। आदेश में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए साफ कहा है कि मरीज या उनके परिजन अगर इलाज में घोर लापरवाही के आरोप किसी डॉक्टर पर अगर लगाते हैं, तो इस दशा में पुलिस को पहले चिकित्सक मंडल से राय लेनी होगी। अगर चिकित्सक मंडल आरोपी डॉक्टर को दोषी नहीं मानता, तो संबधित डॉक्टर पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जाए।
तो लेनी होगी कोर्ट की शरण
चिकित्सक मंडल द्वारा आरोपी डॉक्टर को दोषी नहीं मानने और पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में मरीज व उनके परिजनों को कोर्ट की शरण लेनी होगी। पीड़ित पक्ष अगर मानता है कि संबधित डॉक्टर ने इलाज में गड़बड़ी की है तो उचित अदालत में वह अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। इसके बाद न्यायालय के निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
इसलिए दिए ये आदेश
इलाज में गड़बड़ी के आरोप में प्रदेश के अलग अलग जिलों से पुलिस द्वारा संबधित डॉक्टर पर सीधे एफआईआर के कई प्रकरण न्यायालय में पंहुचे, लेकिन ज्यादातर प्रकरण में न्यायालय द्वारा आरोपी चिकित्सक को दोष मुक्त किया। इससे पुलिस की जांच और कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल उठा। लिहाजा अब इस आदेश को जारी कर सख्ती से पालन कराने के लिए कहा गया है।
टीआई को लिखित में देना होगा तब हो सकेगी गिरफ्तारी
इलाज में घोर लापरवाही के मामले में अगर किसी आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया जाना है तो पहले पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपायुक्त से ही इसकी इजाजत लेनी होगी। इसके बाद ही संबधित आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया जा सकेगा, लेकिन डॉक्टर को गिरफ्तार करने के आदेश तब ही दिए जाएगें जब थाना प्रभारी (टीआई) लिखित में ये देंगे कि संबधित प्रकरण में डॉक्टर का रवैया जांच में असहयोग का है या फिर वह फरार हो सकता है।