MP News: एमपी के अत्याधुनिक ई-रक्षक ऐप को मिला फिक्की स्मार्ट पुलिस अवॉर्ड
नई दिल्ली में आयोजित समारोह में एडीजी एससीआरबी चंचल शेखर ने प्राप्त किया समान, पुलिस महानिदेशक ने दी बधाई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस के अत्याधुनिक ई-रक्षक ऐप को प्रतिष्ठित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (एफआईसीसीआई) स्मार्ट पुलिस अवार्ड प्रदान किया गया है। यह सम्मान नई दिल्ली में एक दिन पहले आयोजित एक समारोह में मध्यप्रदेश पुलिस के एडीजी एससीआरबी चंचल शेखर को प्रदान किया गया है। इस मौके पर भारत सरकार के पूव गृह सचिव जीके पिल्लई फिकी द्वारा पुलिसिंग में डिजिटल नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
इस वर्ष इस पुरस्कार के लिए सपूर्ण भारत से 200 से अधिक नामांकन प्राप्त हुए थे, जिनका गहन मूल्यांकन करने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस के ई-रक्षक ऐप को इसके लिए चयनित किया गया। मध्यप्रदेश पुलिस को यह सम्मान मिलने पर पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा ने बधाई दी है।
जनता की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ई-रक्षक ऐप 'द स्मार्ट कॉप ऐप' विकसित किया गया है। यह ऐप बीट स्तर पर कार्यरत पुलिसकर्मियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर उन्हें अपराधियों एवं संदिग्ध व्यतियों की पहचान में मदद करता है।
पहले पुलिसकर्मियों को अपराधियों की पहचान मुख्य रूप से व्यतिगत अनुभव और जान-पहचान के आधार पर करनी पड़ती थी, लेकिन अब इस ऐप के माध्यम से संपूर्ण मध्यप्रदेश के अपराधियों की जानकारी एक लिंक पर उपलब्ध हो जाती है। इससे संदिग्ध व्यतियों एवं वाहनों की त्वरित वेरिफिकेशन संभव हो पाती है, जिससे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। पुलिस अफसरों का कहना है कि इस पुरस्कार से मध्यप्रदेश पुलिस को डिजिटल पुलिसिंग में अपनी भूमिका को और अधिक सशत करने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे अपराध नियंत्रण और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
ऐप के प्रमुख फीचर्स
- आदतन अपराधियों की जानकारी: पुलिसकर्मी अपने कार्यक्षेत्र में मौजूद अपराधियों की पूरी जानकारी ऐप के माध्यम से देख सकते हैं।
- गश्त के दौरान त्वरित पहचान: किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के नाम को अपराधियों के डेटाबेस में सर्च किया जा सकता है।
- फेस रिकग्नाइजेशन माड्यूल: किसी भी आरोपी की फोटो अपलोड करने पर उससे मिलते-जुलते अपराधियों के रिकॉर्ड तत्काल प्राप्त किए जा सकते हैं। फोटो मिलान के बाद डेटा सुरक्षित रूप से हटा दिया जाता है।
- व्हीकल सर्च: वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर या चेसिस नंबर से उसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह सुविधा आरटीओ डेटाबेस से भी जुड़ी हुई है, जिससे चोरी या अपराध में शामिल वाहनों की त्वरित पहचान हो सके।
ऐप विकास में योगदान इस महत्वपूर्ण
तकनीकी नवाचार को विकसित करने में डीआईजी हेमंत चौहान, एआईजी आरएस प्रजापति, एआईजी प्रांजलि शुक्ला, इंसपेक्टर इंद्रा नामदेव, एएसआई हीरा सिंह ठाकुर, एएसआई सुरेंद्र रघुवंशी एवं प्रधान आरक्षक अर्शदीप सिंह का विशेष योगदान रहा।