MP News: एमपी की सागर यूनिवर्सिटी और भाभा एटॉमिक सेंटर ने की रिसर्च; 100 गुना तक सस्ती होंगी दवाएं
कार्बन क्वांटम डॉट्स पर नैनोस्केल पेपर हुए पब्लिश, शोध से पूरे विश्व को मिलेगा लाभ

भोपाल। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई और सागर यूनिवर्सिटी के कोलेबोरेशन में कार्बन नैनो पार्टिकल्स (एक मीटर का अरबवां हिस्सा) पर शोध किया गया है। शोध सफल रहा तो आने वाले समय में दवा की कीमत 100 गुना कम होगी। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं बेहद सस्ती होंगी।
इस रिसर्च से भविष्य में आम लोगों को कम कीमत पर दवा उपलब्ध हो सकेंगी। इस रिसर्च से पूरे विश्व को लाभ मिलेगा। कार्बन नैनो पार्टिकल पर करीब ढाई साल तक रिसर्च की गई है। कार्बन क्वांटम डॉट्स पर नैनोस्केल पेपर (लंदन) से हाल ही में पब्लिश भी हुए हैं।
डॉ. हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में माइक्रो बायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. योगेश भार्गव बताते हैं कि विश्वविद्यालय की लैब में बनाए गए नैनोपार्टिकल की खूबी ये है कि ये किसी भी रंग में बनाए जा सकते हैं। इनमें स्वस्थ कोशिका एवं बीमार कोशिकाओं की पहचान करने की शक्ति होती है।
इस विकल्प की भी तलाश
अभी रेडियोधर्मिता के उपयोग से साइड इफेक्ट से शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान होते हैं, ऐसे में रेडियो एक्टिविटी के अल्टरनेटिव विकल्प की तलाश की जा रही है, जो तलाश कार्बन के नैनो पार्टिकल के रूप में खत्म हो सकती है। क्योंकि हमारे शरीर में कार्बन के नैनो पार्टिकल इधर-उधर जाने से कोई नुकसान नहीं होता है, ऐसे में जब हम कार्बन नैनो पार्टिकल्स की मदद से किसी विशेष बीमारी जैसे कैंसर की सेल और सामान्य सेल में अंतर कर लेते हैं, तो चिन्हित कैंसर सेल पर हम अपनी दवा का उपयोग कर सकते हैं।
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ रिसर्च
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ शोध करने का परपज था कि क्या हम कैंसर सेल को नॉर्मल सेल से नैनो पार्टिकल्स की मदद से डिफरेंस कर सकते हैं या नहीं। एक अंतर जो हम यदि कर सकते हैं नैनो लेवल पर, एक सिंगल सेल लेवल पर, ट्यूमर को नॉन ट्यूमर सेल से, कैंसर सेल को नॉन कैंसर सेल से, इस पर हमारा काम है। इसने बहुत अच्छे रिजल्ट दिए हैं, इसको विश्व में हम लोगों ने अभी पलिश किया है।
क्या होते हैं कार्बन नैनो पार्टिकल्स
कार्बन हमको बायोमास से मिल सकता है या एक जो फाइन केमिकल होते हैं जैसे अमीनो एसिड हो गया ग्लूकोज हो गया उससे मिल सकता है। अभी हम लोगों ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के साथ काम किया है। आगे हम जो बायोमास होता है, जैसे आपका फाइटोकेमिकल्स है- प्लांट बेस्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट है। उससे भी हम कार्बन को लेकर नए नैनो पार्टिकल्स का निर्माण करना चाहते हैं। आगे कहा, ये रिसर्च कहां जाकर रुकेगी, यह भी कोई नहीं जानता, लेकिन हमारे मन में है कि हम इससे कोई ऐसी दवा बना लें, जिसे हम आम जनता तक बिल्कुल मुफ्त में पहुंच सकें।
महान उपलब्धि के रूप में गिना जाएगा
प्रोफेसर डॉ. योगेश भार्गव कहते हैं कि यदि हम यह दवाइयां नैनो पार्टिकल से बनाते हैं तो मैं यह मानता हूं कि पूरे विश्व के लिए उपयोगी होगा, क्योंकि जब किसी को पता चलता है कि उसको कैंसर है, तो उस पर क्या बीतती होगी? यदि आप केवल काढ़ा पीकर कैंसर ठीक कर लें, तो इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और सागर विश्वविद्यालय का ये प्रयास एक महान उपलब्धि के रूप में गिना जाएगा।